कविता

बिहार में मौत का तांडव

चमकी बुखार का कहर
प्रकृति का भी असर
तपती धरती बढ़ती गर्मी
झूलसते लोग दवा वेअसर।
सैकडो मासूमो को, नित कर रहा शिकार
वेवस और लाचार, बन रही है सरकार।
कई जिलों में धारा 144 लागू
फिर भी नही मौत पर काबू।
ऐ चमकी
लीची से क्यों इतना प्यार हुआ
तेरे प्यार को न समझ पाये मासूम
यह व्यापारी लीची कहर बनी गरीबो की
दो चार खाते ही चमकी वुखार आये
सो गये आगोश में इतने सारे
फिर भी चमकी तुझे चैन न आये।
बूझ रहे है चिराग साल दर साल
सबक क्यों न ले राज्य की सरकार
मौत का तांडव मचा रहा लू और बुखार
प्रकृति के आगे सब है लाचार।
बदइन्तजामी की भयावह
और विक्राल है तस्वीर
एक बेड पर तीन-तीन बच्चे
अस्पताल की बनी है तकदीर।
उपचार को तरसते
माताओ को विलखते देख
ह्रदय विदारक आँसूओ में
डूब रहा बिहार का होनहार।
हर तरफ दुआओ का दौर
बूखारो से डर का माहौल
लाचारी का यह मंजर
माताओ के सीने पर चले जैसे खंजर।
सूनी सड़के सूनी खेत
मनरेगा कर्मियो से न हो भेंट
इस सितम का एक इलाज
बरखा रानी जल्द आव बिहार।।
—  आशुतोष

आशुतोष झा

पटना बिहार M- 9852842667 (wtsap)