कविता

ताल्लुक

रखना है ताल्लुक, झगडा क्यों करें हम,
एक दूजे के लिये ही जीयें और मरें हम|
रखना नही मतलब किसी से जब ठान लिया,
वो जीयें या मरें, क्यों चिन्ता उनकी करें हम|
है बहुत दुनिया स्वार्थी, मतलब से बातें करे,
मतलबी लोगों से सबको बचायें, खुद बचें हम|
— अ कीर्ति वर्धन