राजनीति

गांधी परिवार के नेतृत्व में ही कांग्रेस अवसान की ओर

लोकसभा चुनाव समाप्त हुए अब एक माह बीत रहा है तथा पीएम मोदी के नेतृत्व में बनी सरकार ने अपने कदम भी आगे बढ़ाने शुरू कर दिये हैं लेकिन कांग्रेस व राहुल गांधी के हालात सुधरने की बजाय और खराब होते जा रहे हंै। कांग्रेस नेतृत्व अपनी गलतियां सुधारने की बजाय उसे काफी गहराई तक बढ़ाते ही जा रहा है। राहुल गांधी व उनकी मां सोनिया गांधी एक के बाद एक गलतियां करती जा रही हैं। कांग्रेस के बयानों से लग रहा है कि वह हार के डिप्रेशन से उबर नहीं पा रही है और यह डिप्रेशन लगातार बढ़ता जा रहा है, जिसके कारण अब उनके सहयोगी भी उनसे दूरी बनाने के लिए विचार करने लगे हैं।
कांग्रेस ने चुनावों के बाद अपनी पराजय के कारणों पर मंथन करने व गांधी परिवार से छुटकारा पाने के बजाय पूरी कांग्रेस व उनके कुछ सहयोगी अपनी गुलामी की मानसिकता से प्रभावित होकर राहुल गांधी का ही गुणगान करने लग गये। उत्तर प्रदेश जैसे राज्य में जहां कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अपनी अमेठी की सीट भी बचाने में नाकामयाब रहे अब वहीं के कांग्रेसी राहुल के बचाव में ईवीएम मशीनों को दोषी ठहरा रहे हैं। गांधी परिवार भक्त कांग्रेसी व सेकुलर नेता गाहे बगाहे उनकी तुलना नेहरू जी से कर रहे हंै। पता नहीं कांग्रेसी राहुल की तुलना नेहरू जी से करके उनको क्या संदेश दे रहे हैं।
चुनावों में भारी पराजय के बाद राहुल गांधी ने कांग्रेस का अध्यक्ष पद छोड़ने का ऐलान करते हुए कहा था कि अशोक गहलोत व कमलनाथ जैसे नेताओं ने पार्टी की बजाय अपन बेटों को प्राथमिकता दी जिसके कारण आज यह हाल हुआ है। आज राहुल गांधी अध्यक्ष पद पर रहे या न रहे का नाटक खेल रहे हैं और उनके प्रवक्ता रोज ट्विटर पर बयानबाजी कर रहे हैं कि राहुल कांग्रेस अध्यक्ष हैं और रहेंगे। वहीं मीडिया रिपोर्ट व अन्य मीडिया खेमों में कांग्रेस के लिए नये अध्यक्ष के नामों की चर्चायें भी चल रही हैं। कभी अशोक गहलौत का नाम आता है तो कभी अहमद पटेल, शशि थरूर और पता नहीं कितने। लेकिन सभी राहुल गांधी से इतने भयभीत और उनके गुलाम हो गये हैं कि अपना नाम मीडिया में चलते ही राहुल गांधी के समर्थन में अपना बयान देकर पल्ला झाड़ रहे हैं। जब तक यह परिवार कांग्रेस में शीर्ष पर रहेगा तब तक कांग्रेस पार्टी का उत्थान होने में संदेह है।
भारी पराजय के बाद सोचा जा रहा था कि कांग्रेस के विचारों और कर्मों में परिवर्तन आयेगा लेकिन वह भी नहीं आ रहा है जिससे यही पता चलता है कि अभी कांग्रेस के दुर्दिन समाप्त नहीं होने जा रहे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नयी सरकार बनने के बाद एक राष्ट्र एक चुनाव के विचार को आगे बढ़ाने के लिए देश के सभी राजनैतिक दलों के साथ विचार विमर्श करने के लिए बैठक बुलायी थी जिसमें भाग लेने के लिए कांग्रेस पहले तो सहमत हो गयी थी लेकिन बाद में पता नहीं क्यों मुकर गयी और बैठक का यह कहते हुए बहिष्कार कर डाला कि अभी बीजेपी एक देश एक चुनाव की बात कर रही है आगे चलकर वह एक देश एक भाषा, एक खान-पान व एक वेशभूषा की भी बात करने लगेगी। कांग्रेस का यह नकारात्मक विचार सामने आने के बाद ही सपा और बसपा जैसे नाकारा दल भी उसकी हां में हां मिलाते नजर आने लगे। बसपानेत्री मायावती ने दो कदम आगे बढ़ते हुए ईवीएम का ही रोना रो दिया और इस बैठक को संविधान की मूल भावना के खिलाफ ही बता डाला।
उसके बाद जब संसद के दोनों सदनों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने नयी सरकार का एजेंडा देश के सामने रखा तब कांग्रेस ने उसकी भी नकारात्मक ढंग से बेकार की आलोचना कर डाली। इससे पता चलता है कि आज कांग्रेस का नेतृत्व व उसमें कुछ लोग एक अनपढ़ से भी गया गुजरा व्यवहार कर रहे हंै। इसी बीच जब राष्ट्रपति का संबोधन चल रहा था तथा सभी दलों के सांसद मेंजे थपथपाकर स्वागत कर रहे थे, उस समय राहुल गांधी मोबाइल पर खेलने में और अपनी मां के साथ बातचीत करने में मशगूल दिखाई दे रहे थे। सोशल मीडिया में यह भी चर्चा रही कि वह अभिभाषण के कठिन हिंदी शब्दों का अर्थ खोज रहे थे, जिससे यह भी पता चलता है कि इन लोगों को देश की एक भाषा हिंदी भी अच्छे से नहीं आती है।
वहीं यह भी खबर सुर्खियों में रही कि जब केरल के एक कांगे्रसी सांसद ने हिंदी में शपथ ली और फिर उसके बाद जब दो और सांसदों ने हिंदी में शपथ लेने का विचार बनाया तो सोनिया गांधी ने उन सांसदों को फटकार लगा दी और उन्हें मलयालम अथवा अंग्रेजी में शपथ लेने का निर्देश दिया। अगर यह बात सही है तो उससे पता चलता है कि इन लोगों के मन में हिंदी, हिंदू, हिंदुस्थान, भारतीय संस्कृति तथा सभ्यता के प्रति कितनी घृणा भरी हुई है तथा चुनावों में पराजय के बाद वह कितने निम्न स्तर तक जा चुकी है। आज की पूरी कांग्रेस अभारतीय विचारों से ओतप्रोत हो गयी है। यहां पर सबसे बड़ी बात यह भी है कि जब राष्ट्रपति ने राफेल का उल्लेख किया तो राहुल ने कहा कि राफेल में चोरी तो हुई है। इसकी भी खूब जगहंसाई हुई। राहुल को यह नहीं पता है कि राफेल के कारण ही वह सत्ता से दूर जा चुके हैं।
यह साफ हो गया है कि आज देश में हिंदी, गाय, गंगा व अन्य तमाम नदियों, संस्कृत व संस्कृति तथा योग व आयुर्वेद का जो हाल हुआ है उसकी तह मेें यह कांग्रेस व गांधी परिवार ही है। अभी राहुल गांधी ने योग दिवस के दिन सोशल मीडिया में राहुल गांधी ने सेना की डाग स्कवाॅयड के योग कार्यक्रम से जुड़ी तस्वीरें शेयर कर सरकार पर कटाक्ष करने का प्रयास करते हुए कहा कि यह न्यू इंडिया है। वह कहना कुछ चाह रहे थे लेकिन बड़ी होशियारी से भारतीय सेना व विश्व भर में योग कर रहे सभी लोगों को अपमानित कर दिया। आज सोशल मीडिया में राहुल गांधी बहुत बुरी तरह ट्रोल किये जा रहे हैं।
एक टीवी चैनल में बताया गया कि जब एक बार असम के कांग्रेस अध्यक्ष हेमंत उनसे मिलने के लिए गये थे, तब वह अपने पालतू कुत्ते पीडी को बिस्कुट खिला रहे थे। उन्होंने वही बिस्कुट उनको भी खाने को दे दिये और वह जो बात उनसे करने आये थे उन्होंने सुनी भी नहीं। वही नेता अब बीजेपी में हैं और पूर्वोत्तर में वह बीजेपी को मजबूत बना रहे हैं। योग दिवस पर उनके द्वारा किया गया यह फोटो शेयर और भी अधिक घातक व योगियों को अपमानित करने वाला है। आज देश की सेना व शहीद जवानों के परिवार फिर अपने को आहत महसूस कर रहे हैं। मीडिया में राहुल गांधी को एक बार फिर हिटविकेट बताया जा रहा है। वे अपने ही कर्मो से कांग्रेस को मटियामेट कर रहे हंै।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने राहुल गांधी की ताजा हरकत पर कहा कि भगवान उनको सद्बुद्धि दे। वहीं भाजपा नेता राम माधव ने कहा कि संसद में भी बच्चे हंै तथा योग उनकी बाल मनोवृत्ति से निपटने में मदद कर सकता है। अगर राहुल गांधी का यही रवैया रहा तो वह दिन दूर नहीे जब कांग्रेस जहां जहां सत्ता में है, वहां से भी चली जायेगी। कांग्रेस का अवसान क्या राहुल गांधी के हाथों ही होना है?

— मृत्युंजय दीक्षित