गीत/नवगीत

गीत : पावस रानी

अब तो गाओ पावस रानी,गीत सुहाने।
नहीं चलेंगे अब तो कोई व्यर्थ  बहाने ।।
बौछारों से कुछ ना होगा
जमकर बरसो अब
कुंये, नदी, तालाब भरे हों
ऐसा हरसो तुम
अब तो आ जाओ नगरी तुम, प्रीत निभाने।
नहीं चलेंगे अब तो कोई व्यर्थ बहाने।।
हम सब कब से सारे तरसे
अब तो रहम करो
जिससे सारे हों प्रसन्न
तुम अब वो करम करो
कुंठा और हताशा के सब भवन गिराने।
नहीं चलेंगे अब तो कोई व्यर्थ बहाने।।
आतप ने यह क्या कर डाला
सूखे चेहरे,सूखी काया
घुटन हो रही बाहर-भीतर
 है सब जल की माया
छंद,ताल और सुर के नूतन राग सजाने।
नहीं चलेंगे अब तो कोई व्यर्थ बहाने।।
 — प्रो.शरद नारायण खरे

*प्रो. शरद नारायण खरे

प्राध्यापक व अध्यक्ष इतिहास विभाग शासकीय जे.एम.सी. महिला महाविद्यालय मंडला (म.प्र.)-481661 (मो. 9435484382 / 7049456500) ई-मेल-khare.sharadnarayan@gmail.com