मुक्तक/दोहा

मुक्तक

शीर्षक -दीवार,भीत,दीवाल

“मुक्तक”

किधर बनी दीवार है खोद रहे क्यूँ भीत।
बहुत पुरानी नीव है, मिली जुली है रीत।
छत छप्पर चित एक सा, एक सरीखा सोच-
कलह सुलह सर्वत्र सम, घर साधक मनमीत।।

नई नई दीवार है, दरक न जाए भीत।
कौआ अपने ताव में, गाए कोयल गीत।
दोनों की अपनी अदा, रूप रंग कुल एक-
एक भुवन नभ एक है, इतर राग क्यों मीत।।

महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ