स्वास्थ्य

रोड शो: साइड इफैक्ट्स

हर चीज के साइड इफैक्ट्स होते हैं, चाहे वह खाने-पीने की चीज हो, दवाई हो, या कोई सीख हो. रोड शो के साइड इफैक्ट्स तो अभी-अभी आप चुनावों में देख ही चुके हैं और अभी तक देख रहे हैं. चलिए पहले बात करते हैं, रोड शो के साइड इफैक्ट्स की. यह तो आप जानते ही होंगे कि हम बात सकारात्मकता की ही करेंगे.
रोड पर सैर करते हुए हमें इंदु मिली और हमारे साथ हो ली. वह लगातार नकारात्मक बात करते हुए बोले जा रही थी, ‘अब चुप करके चलो, अन्यथा उस दिन की तरह सांस फूल जाएगी और पसीने से तर हो जाओगी’ हमारे यह कहते ही उसने महसूस किया और कहा- ”ठीक कह रही हो.” अब वह शांत थी.
लगभग तीस साल की एक अनजान युवती ”रनिंग” का अभ्यास कर रही थी, वह सांस लेने के लिए रुकी. हमने उससे मुंह बंद करके सांस लेने की सलाह दी, उसने सॉरी करके मान लिया.
एक बुजुर्ग महिला बड़े ध्यान से उल्टा चल रही थी. कारण पूछने पर बताया कि ऐसा करने से घुटनों के दर्द की समस्या हल हो जाती है. हमने एक नया सबक सीख लिया.
यह तो बात थी रोड के साइड इफैक्ट्स की. अब बात करते हैं ब्लॉग ‘रोड शो-1: बात सेहत की’ के साइड इफैक्ट्स की. ब्लॉग के साइड इफैक्ट्स की बात कोई बात नहीं है. हाइकु पर आप हमारा ब्लॉग ‘गागर में सागर’ पढ़ चुके हैं. इस ब्लॉग की प्रतिक्रियाओं में इंग्लैंड के गुरमैल भाई और मनजीत कौर ने हाइकु लिखना सीखते-सीखते कामेंट्स में इतने ढेर सारे शानदार हाइकु लिख दिए, कि हमें तुरंत ब्लॉग ‘साइड इफैक्ट्स’ लिखने का सौभाग्य मिला. यह साइड इफैक्ट्स प्रतिक्रियाओं का कमाल था. प्रतिक्रियाओं के कमाल की प्रतीक हैं गुरमैल भाई पर बनी हुई 11 ई. बुक्स. प्रतिक्रियाओं के आधार पर ही गुरमैल भाई पर अनगिनत ब्लॉग्स लिखे गए. प्रतिक्रियाओं के कमाल पर आप ढेरों ब्लॉग्स पढ़ चुके हैं. हाल ही में ”क्षणिकाएं: आपकी-हमारी”, ”बाल गीत: आपके-हमारे” पढ़ चुके हैं. ”दिलखुश जुगलबंदी” तो है ही प्रतिक्रियाओं का कमाल, जिससे अनेक कवियों का नया रूप हमारे समक्ष आ चुका है. प्रतिक्रियाओं के कमाल पर ही आज हम ब्लॉग ”रोड शो-1: बात सेहत की” के साइड इफैक्ट्स की बात करेंगे.
इस ब्लॉग के बारे में हमारे एक पाठक-कामेंटेटर सुदर्शन खन्ना ने लिखा- ”सेहत वाली श्रंखला ज्ञान के नए भंडार खोल सकती है.” यही नहीं उन्होंने सेहत के बारे में इतने नायाब व उपयोगी तथ्य लिख भेजे, कि हमें खाना बनाने-खाने में और अधिक मजा आने लगा. भिंडी, कमलककड़ी, केक के ऊपर लगने वाली रेड कलर की छोटी सी प्यारी से चेरी आदि के बारे में अनेक नई बातें पता चलीं. सुदर्शन भाई की प्रतिक्रियाओं की बात को आगे बढ़ाने से पहले हम आपको अपने पाठकों और कामेंटेटर्स के बारे में एक रोचक बात बताते चलते हैं. अनेक पाठक लिखते हैं, कि हम आपके ब्लॉग पर मनोरंजक व उपयोगी प्रतिक्रियाएं पढ़ने के लिए बार-बार आते हैं. सच में हमारे पाठक-कामेंटेटर्स ऐसी ही अनूठी प्रतिक्रियाएं लिखते हैं. अब इस ब्लॉग पर सुदर्शन भाई की प्रतिक्रियाएं-
कमल ककड़ी-
”कमल ककड़ी में ढेर सारे विटमिन्स और मिनरल्स होते हैं। इसमें काफी मात्रा में विटमिन सी होता है जो वायरल और बैक्टीरियल इंफेक्शन से बचाव करता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है. कमल ककड़ी आंखों, बालों और स्किन के लिए किसी वरदान से कम नहीं है क्योंकि इसमें विटमिन ए भरपूर मात्रा में होता। इसके अलावा यह मसल डीजेनरेशन से भी बचाव करता है। कमल ककड़ी ब्लड शुगर और कलेस्ट्रॉल को भी कम करने में मददगार है। इसमें फाइबर और कॉम्प्लैक्स कार्बोहाइड्रेट्स होते हैं जो साथ मिलकर कलेस्ट्रॉल और ब्लड शुगर के स्तर को सामान्य रखने में मदद करते हैं।”
केक के ऊपर लगने वाली रेड कलर की छोटी सी प्यारी से चेरी-
”केक के ऊपर लगने वाली रेड कलर की छोटी सी प्यारी से चेरी किसे अच्छी नहीं लगती। बहुत से लोगों को चेरी खाना बहुत पसंद होता है। हम आपको बता दें कि चेरी न केवल स्वादिष्ट होती है बल्कि सेहत के लिए भी काफी अच्छी मानी जाती है। विटमिन और खनिज इसके प्रमुख स्रोत हैं। चेरी कई तरह की होती है पर तीखी और मीठी चेरी ही सबसे अच्छी मानी जाती है। हालांकि, इसकी सभी किस्में पौष्टिक, फाइबर, विटमिन और खनिजों से भरपूर होती हैं। 154 ग्राम चेरी में कैलरी: 97, प्रोटीन: 2 ग्राम, कार्ब्स: 25 ग्राम, फाइबर: 3 ग्राम, विटमिन सी: दैनिक जरूरत का 18%, पोटैशियम: दैनिक जरूरत का 10%, कॉपर: दैनिक जरूरत का 5%, मैंगनीज: दैनिक जरूरत का 5% होता है। रिसर्च से पता चलता है कि चेरी में ऐंटीइंफ्लेमेंट्री और ऐंटीऑक्सिडेंट कंपाउंड होते हैं जो मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, क्षति और सूजन में राहत दिलाने में मदद करते हैं। तीखी चेरी और उनका रस मीठी चेरी की तुलना में ज्यादा प्रभावी होता है। पोषक तत्वों से भरपूर चेरी का सेवन आपके दिल को सुरक्षित रखता है। कई अध्ययनों से पता चलता है कि फलों से भरपूर आहार दिल की बीमारी में फायदा देते हैं। चेरी पोषक तत्वों और यौगिकों में समृद्ध है जो हृदय के स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए जानी जाती है, जिनमें पोटैशियम और पॉलिफेनोल ऐंटीऑक्सिडेंट शामिल है। शक्तिशाली ऐंटीइंफ्लेमेंट्री गुण के प्रभाव के कारण चेरी गठिया के लक्षणों को कम करती है। एक प्रकार का गठिया जो यूरिक ऐसिड के बिल्डअप के कारण होता है जिससे आपके जोड़ों में ज्यादा सूजन और दर्द हो सकता है। यह आर्थराइटिस और गठिया के दर्द को कम कर आराम पहुंचाता है।”

भिंडी-
”भिंडी न सिर्फ सेहत के लिए भी स्किन और बालों के लिए भी कई तरह से फायदेमंद है…. डायबीटीज कंट्रोल करने में मदद – डायबीटीज के मरीजों के लिए भिंडी मुफीद है । रिसर्च के अनुसार 3 ग्राम भिंडी में भी अघुलनशील फाइबर की मात्रा बहुत होती है। यह आंतों द्वारा जिस रेट से शुगर को अब्जॉर्ब किया जाता है उसमें कमी ला सकता है। टर्की जैसे देशों में तो भिंडी के बीज का इस्तेमाल डायबीटीज के मरीजों की दवा बनाने में भी किया जाता है।
आंखों की रोशनी बढ़ाती है – भिंडी में विटामिन ए और बीटा कैरोटिन ये दो पोषक तत्व पाए जाते हैं और ये दोनों ही हमारी आंखों की रोशनी के लिए अच्छे होते हैं। विटामिन ए और बीटा कैरोटिन ऐसे पोषक तत्व हैं जो मोतियाबिंद और दूसरी बीमारियों से बचाने में मदद करते हैं।
हृदय रोग से बचाने में मददगार – शरीर में कलेस्ट्रॉल की अधिक मात्रा हो जाने की वजह से दिल से जुड़ी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।भिंडी में मौजूद पेक्ट‍िन नामक तत्व कलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में मदद करता है.
ग्लोइंग स्किन के लिए खाएं भिंडी ​ – भिंडी खूबसूरत और ग्लोइंग स्किन देने में भी मदद कर सकती है। भिंडी में विटमिन ए, विटमिन सी, कैल्शियम और फॉलेट होता है जो हेल्दी स्किन सेल्स को प्रमोट करने के लिए जाना जाता है।”
लगातार फोन स्क्रीन देखना-
”ऑस्ट्रेलिया के ‘यूनिवर्सिटी ऑफ सनशाइन कोस्ट इन क्वींसलैंड’ के एक शोध से पता चला है कि लगातार फोन स्क्रीन देखने के कारण लोगों के सिर की हड्डियां असामान्य तरीके से बढ़ रही हैं जो कि सींग जैसी हैं। हालांकि, यह जानवरों की तरह सिर के ऊपर नहीं बल्कि पीछे के हिस्से में बढ़ रहा है। यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने 18 से 30 साल की उम्र के लोगों में यह लक्षण पाए हैं। ‘एक्सप्रेस को डॉट यूके’ के मुताबिक, शोध के दौरान 200 से अधिक युवाओं के एक्स-रे कराए गए, जिसमें पाया गया कि उनकी सिर की हड्डियों में असामान्य वृद्धि हो रही है जिसे ‘एंथेसोफाइट्स’ के नाम से भी जाना जाता है। शोध के नतीजों ने वैज्ञानिकों को हैरान कर दिया है। इस स्टडी को लीड करने वाले वैज्ञानिकों का कहना है कि असामान्य वृद्धि लंबे समय तक सिर की हड्डियों पर पड़ने वाला दबाव है, जब हम लंबे समय तक स्मार्टफोन का इस्तेमाल करते हैं हमारा सिर आगे की तरफ झुका होता है। इसकी पुष्टि के लिए एमआरआई स्कैन और ब्लड टेस्ट कराए गए। जिससे यह तर्क खारिज हो गया कि हड्डियों की असामान्य वृद्धि जेनेटिक कारणों से हुई है यानी यह वृद्धि सीधे-सीधे नई तकनीक की देन है।”
बिस्किट से किनारा-
”केन्द्रीय स्वास्थ्य विभाग ने अब अपने मंत्रालय में भी हेल्दी आदतों को विकसित करने के मकसद से यह फैसला किया है कि मंत्रालय के तहत आने वाले सभी डिपार्टमेंट्स में ऑफिस मीटिंग के दौरान बिस्किट सर्व नहीं किया जाएगा। अब चाय के साथ बिस्किट की जगह अखरोट, बादाम, खजूर, लईया चना और भूनी हुई दाल जैसे हेल्दी स्नैक्स सर्व किए जाएंगे।”
इसके अतिरिक्त भी इस ब्लॉग के कामेंट्स में सीखने लायक बहुत कुछ है. रोड शो का अगला अंक हिंदी भाषा पर. आप हिंदी भाषा पर क्या जानना चाहते हैं, कामेंट्स में लिखना न भूलिएगा.
यहां हम आपको एक बात बताते चलें, कि सुदर्शन खन्ना और रविंदर सूदन जी हमें निरंतर अनमोल वचन, रोचक-मनोरंजक व ज्ञानवर्द्धक किस्से आदि भेजते रहते हैं, जो हमें अपनी अनेक श्रंखलाओं के लेखन में सहायक होते हैं.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

One thought on “रोड शो: साइड इफैक्ट्स

  • लीला तिवानी

    खाली पेट सोने से शरीर पर पड़ने वाला असर
    हममें से कई लोग अक्सर रात में या तो थकान की वजह से या वजन कम करने के चक्कर में रात को खाली पेट सो जाते हैं। इससे-
    1.पोषण की कमी हो जाती है.
    2.मेटाबॉलिजम होता है प्रभावित यानी इंसुलिन लेवल गड़बड़ा सकता है.
    3.सोने में दिक्कत हो सकती है.
    4.वजन बढ़ सकता है.
    5.चिड़चिड़ापन हो सकता है.
    अगर आप कोई खास डायट या फास्टिंग नहीं कर रहे हैं तो सही यही है कि रात में खाली पेट न सोएं. ट्रडिशनल फास्टिंग शरीर को डिटॉक्स करने और बीमारियों से बचने का सही तरीका है। इससे शरीर को रेजुवेनेट होने का मौका मिलता है और आपकी आंत के लिए अच्छा होता है। हालांकि ऐसा रोजाना करना ठीक नहीं। साथ ही अगर आप किसी तरह की दवाएं ले रहे हैं तो डॉक्टर की सलाह के बिना खाना छोड़ना ठीक नहीं.

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