लघुकथा

अभिसंधा (लेखनी)

वह सोने की कोशिश कर रहा था परंतु उसे नींद नहीं आ रही थी। घर के सारे खिड़की दरवाजे उसने बंद कर दिये थे , फिर भी ना जाने कौन उसे बुला रहा था।

“कौन हो तुम ? दिखाई क्यों नहीं देते ! क्या चाहिये तुम्हें ?क्यों हमें परेशान कर रहे हो?”

“बस बस शाँत हो जाओ मित्र ; मैं तुम्हारा सखा हूँ । मुझे पता है तेरे पिताजी बहुत ईमानदार हैं ,उन्हें बॉस के हाँ में हाँ मिलाने नहीं आती ।हर जगह बंदरबांट होता है ।ऐसे में तेरे पिताजी की ईमानदारी सबको हज़म नहीं होती है, इसी वजह से बार-बार उनका स्थानांतरण किया जाता है। अभी तुम भी अपने प्रतियोगिता की तैयारी में व्यस्त हो।ऐसे में स्थान परिवर्तन से तेरा कैरियर चौपट हो जायेगा।”

“मुझे पागल समझते हो ; मैं भूत प्रेत को नहीं मानता हूँ कौन है तुम सामने आओ । हाहाहाःहाहा डर गये ना मेरा वश चले तो एक एक कर सारे समाज के पथ भ्रष्ट अधिकारियों या पदाधिकारियों भुन डालूँ ।चुप हो जाओ वरना पहली गोली तुम्हें ही मारुंगा।”

चिंता से उसके सारे नस-नस फटने लगे। क्या करूँ कैसे  पापा की समस्या हल करूँ ? बहन की शादी ठीक हुई है। भाई की भी परीक्षा है माँ का इलाज चल रहा है।

नहींईईई…मुझे अपने होशोहवास कायम रखने हैं। सारी गुत्थियां सुलझ जायेंगी होठों पर मुस्कान भी आयेगी मगर कैसे ???

बेध्यानी में उसने कलम उठा ली । अक्षरों से खेलते खेलते अपने ही लिखे शब्दों को गुनगुनाने लगा….’तेरा साथ है तो मुझे क्या कमी है ,अंधेरों में भी मिल रही रौशनी है’।

वह कलम उठा कर स्थानीय अखबार के जरिए अपनी समस्या एवं भ्रष्टाचार की पोल खोलने के लिये प्रतिबद्ध हो लिखने लगा। पल भर में ही सुकून से चेहरे पर मुस्कान तैरने लगी, पलकें भारी होने लगी, कलम हाथ से छूट बिस्तर पर गिर गया। उनींदी सी आवाज आई “धन्यवाद मित्र एक बार तुमने मुझे अपराधी होने से बचा लिया।”

— आरती राय

*आरती राय

शैक्षणिक योग्यता--गृहणी जन्मतिथि - 11दिसंबर लेखन की विधाएँ - लघुकथा, कहानियाँ ,कवितायें प्रकाशित पुस्तकें - लघुत्तम महत्तम...लघुकथा संकलन . प्रकाशित दर्पण कथा संग्रह पुरस्कार/सम्मान - आकाशवाणी दरभंगा से कहानी का प्रसारण डाक का सम्पूर्ण पता - आरती राय कृष्णा पूरी .बरहेता रोड . लहेरियासराय जेल के पास जिला ...दरभंगा बिहार . Mo-9430350863 . ईमेल - arti.roy1112@gmail.com