सामाजिक

शरणार्थी समस्या : मनुष्यताऔर आधुनिक सभ्यता पर एक कलंक

अभी पिछले दिनों लगभग सभी समाचार पत्रों में प्रमुखता से यह खबर छपी , जिसमें अलसल्वाडोर का एक युवा बेरोजगार पिता अपने मात्र 23 माह की बेटी के साथ अपनी बेबसी ,गरीबी ,बेरोजगारी और आर्थिक तंगी से छुटकारा पाने के लिए अपनी उस अबोध बच्ची को अपनी पीठ पर बाँधकर अवैध रूप से एक नदी पार करके अमेरिका जैसे देश में जाना चाहता था ,परन्तु दुर्भाग्यवश वह अपने और अपनी बच्ची के जीवन को बेहतर बनाने के ख्वाब को पूरा नहीं कर सका और नदी के प्रबल प्रवाह में अपनी बेटी को पीठ पर बाँधे ही अपने बेहतर जीवन जीने की जद्दोजहद में नदी से हार कर उसके किनारे औंधे मुँह आधा डूबा अत्यन्त मार्मिक व कारूणिक दृश्य के साथ इस दुनिया के अमानवीय ,क्रूर ,स्वार्थी व मनुष्यता को शर्मसार करने वाली कथित इस दुनिया के आर्थिक और सामरिक रूप से सशक्त देशों के कर्णधारों के लिए दिखा गया कि हे स्वार्थी अतिमानवों ! अब ‘मनुष्यता ‘पर कुछ रहम करो !
        सशक्त और आर्थिक रूप से मजबूत राष्ट्रों ने जब से कथित आर्थिक उदारीकरण और ग्लोबलाइजेशन नामक शोषक नीतियों को अपने स्वर्थपूर्ति हेतु अपने हित के लिए बनाए गये कुछ वैश्विक संगठन जैसे संयुक्त राष्ट्र संघ, विश्व बैंक और आईएमएफ जैसी संस्थाओं के चासनीयुक्त छद्मावरण में लिपटे अपनी बात से इस दुनिया भर में प्रचारित प्रसारित कर उसे लागू करवाया है ,जिसके फलस्वरूप ,वैश्विक स्तर पर कुछ विकास के टापू पैदा हो गये हैं (उदाहरणार्थ अमेरिका जैसे देश) और शेष विश्व के देश गरीबी के दलदल में बुरी तरह धंसते गये हैं ,वे आर्थिक तौर पर इतने विपन्नता के शिकार हो गये हैं कि वे अपने देश के नागरिकों को दो जून की रोटी भी दिला पाने में असहाय हो गये हैं , इस तरह के दुनियाभर में पचासों देश हैं जो दिवालियेपन और आर्थिक बदहाली के शिकार हो गये हैं । विडम्बना यह है कि आज आर्थिक उन्नति के शिखर पर विराजमान अमेरिका के बिल्कुल पड़ोसी मैक्सिको और लातिन अमेरिका के देश , दक्षिणी यूरोप के कुछ देश और अमेरिकी युद्धपिपासा से अभिषप्त मध्यपूर्व के कई देश इस लिस्ट में सम्मिलित हैं ।
       अलसल्वाडोर के इस अभागे पिता ऑस्कर अलबर्टो मार्टिनेज रामिनेज और अपने पिता के गले में हाथ डालकर कसकर पकड़ी उनकी मात्र 23 माह की बेटी वालेरिया की अमेरिका – मैक्सिको सीमा पर स्थित रियो ग्रांडे नदी में औंधे मुँह पड़ी अधडूबे शव की भयावहता से समस्त विश्व के मानवीय व करूणामय लोगों का हृदय कराह उठा और आँखें आँसुओं से भर आईं हैं। अभी पिछले दिनों चार बच्चों के नदी में डूबे शव भी इसी स्थान पर मिले थे । इसी 25 जून को मैक्सिकन पुलिस ने अलसल्वाडोर की ही एक 19 वर्षीया ग्रेजुएट बेरोजगार लड़की की गोली मारकर इसलिए हत्या कर चुकी है, वह भी अमेरिका जाने का प्रयास कर रही थी। इसी प्रकार की एक घटना तीन साल पूर्व टर्की के सीमावर्ती समुद्र तट पर तीन साल के मृत अधडूबे मासूम बच्चे ‘एलन कुर्दी ‘की रूला देने वाली तस्वीर को दुनिया ने देखा था ।
      क्या दुनिया के कुछ चन्द विकसित देश अपनी भेदभावपूर्ण नीतियों की वजह से जो इतने अमीर हो गये हैं और समस्त विश्व का धन वे येन-केन-प्रकारेण इकट्ठा करके शेष विश्व को बदहाली और भूखों मरने को बाध्य किए हुए हैं , क्या वे कुछ ऐसी नीतियां नहीं बना सकते ? ताकि धन का इतना ज्यादे उनके देशों में संकेन्द्रण न हो ,कम से कम दुनिया के और देशों के लोग भी अपनी न्यूनतम आवश्यकताओं जैसे दोनों समय भरपेट भोजन , वस्त्र और एक अदद साधारण घर में रह सकें ! ऐसी वैश्विक व्यवस्था बनाई जानी चाहिए , ये साम्राज्यवादी क्रूर आर्थिक शोषण आधारित नीतियां तुरन्त बन्द होनी ही चाहिए , ताकि भविष्य में कोई ऑस्कर अलबर्टो मार्टिनेज रामिनेज और उसकी 23 महिने की अबोध बेटी वालेरिया के साथ मात्र रोटी के लिए रियो ग्रांडे नदी में डूब मरने को विवश न हों ।
 
— निर्मल कुमार शर्मा, गाजियाबाद

*निर्मल कुमार शर्मा

"गौरैया संरक्षण" ,"पर्यावरण संरक्षण ", "गरीब बच्चों के स्कू्ल में निःशुल्क शिक्षण" ,"वृक्षारोपण" ,"छत पर बागवानी", " समाचार पत्रों एवंम् पत्रिकाओं में ,स्वतंत्र लेखन" , "पर्यावरण पर नाट्य लेखन,निर्देशन एवम् उनका मंचन " जी-181-ए , एच.आई.जी.फ्लैट्स, डबल स्टोरी , सेक्टर-11, प्रताप विहार , गाजियाबाद , (उ0 प्र0) पिन नं 201009 मोबाईल नम्बर 9910629632 ई मेल .nirmalkumarsharma3@gmail.com