कविता

तुम क्यों याद आते हो?

वक्त बेवक्त आज भी
न जाने,
तुम क्यों याद आते हो?
झूठे ख्वाब की तरह
हर रोज,
न जाने ,
तुम क्यों याद आते हो ?
हम जानते हैं,
आप हमें कभी,
याद नहीं करते
फिर भी
दिल की हर धड़कन में,
न जाने,
तुम क्यों याद आते हो?
सोचता हूं,
तुमको भूल जाऊंगा
पर न जाने,
फिर भी
बहती इन फिजाओं में,
बहती इन हवाओं में
तुम क्यों याद आते हो?
मैं आक्रोश करता हूं ,
इन बरस्ती बरसातों में,
इन खामोश रातों में
न जाने फिर भी
तुम क्यों याद आते हो?

राजीव डोगरा

*डॉ. राजीव डोगरा

भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा कांगड़ा हिमाचल प्रदेश Email- Rajivdogra1@gmail.com M- 9876777233