स्वास्थ्य

ऊँटनी के दूध में कई जटिल रोगों को ठीक करने की अद्भुत क्षमता

ऊंटनी के दूध के ‘औषधीय ‘गुण के बारे में अध्ययन के लिए इंडियन कांउसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च { आइसीएमआर } ने अपने निर्देशन में एस.पी. मेडिकल कॉलेज ,बीकानेर और जोधपुर के डेजर्ट मेडिकल कॉलेज के शोधार्थियों के संयुक्तरूप से राजस्थान के आठ जिलों के 24000 लोगों के खान-पान और रहन-सहन पर 2015 से 2018 तक गहन अध्ययन किया ।
       इस वैज्ञानिक अध्ययन में एक बहुत बड़ा तथ्य उजागर हुआ है ,कि जो लोग ऊंटनी के दूध का सेवन करते हैं ,उनमें शुगर लेवल लगभग ‘ शून्य ‘ है । राजस्थान में ऊँट पालन का काम ‘ राइका ‘ जाति के लोग करते हैं ,जाहिर सी बात है यही लोग ऊंटनी के दूध का अधिकाधिक प्रयोग भी करते हैं । शोधार्थियों के अनुसार इस समुदाय के लोगों में शुगर लेवेल कम होने का कारण यह है क्योंकि उनके शरीर में ऊंटनी का दूध ‘प्रोटेक्टिव जीन ‘ अतिसक्रिय कर देता है ,जिससे उन्हें शुगर का मरीज नहीं बनने देता है।
       इसके अतिरिक्त हालैंड के वैज्ञानिक भी अपने शोध में यह बात प्रामाणित कर रहे हैं कि ऊँटनी के दूध के सेवन करने वालों को पीलिया ,दमा , टीबी ,खून की कमी ,बवासीर जैसी बिमारियाँँ नहीं होंगी या अगर हैं ,तो वे रोग तुरन्त ठीक हो जायेंगी । इसके अतिरिक्त हालैंड के वैज्ञानिकों ने भी गाय और भैंस के दूध की तुलना में ऊँटनी के दूध को विशेषकर शुगर के रोगियों के लिए ज्यादे लाभकारी बताया ।  संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संस्थान की एक रिपोर्ट के अनुसार रूस और कजाकिस्तान के डॉक्टर कई असाध्य रोगों से ग्रसित अपने रोगियों को उन रोगों से निजात हेतु ऊँटनी के दूध के सेवन की सलाह देते हैं । प्राचीन मिश्र में भी इसके औषधीय गुणों की वजह से इसके सेवन के प्रमाण मिलते हैं ।
     यह वैज्ञानिक शोध भारत के शुगर मरीजों के लिए एक ‘वरदान ‘ साबित हो सकता है , शुगर के नाम पर यहाँँ की गरीब जनता से अरबों-खरबों रूपयों की मेडिकल मॉफियाओं द्वारा लूट-खसोट पर रोक लगाई जा सकती है । सबसे पहले इस ‘मानव मित्र ‘ पशु की ‘गाय की तरह ‘उनकी हत्या और उनके माँस खाने पर केन्द्र और राजस्थान सरकार पूरी तरह प्रतिबन्ध लगाने का काम करें तथा इसके अतिरिक्त भारत सरकार और राजस्थान सरकार दोनों संयुक्त रूप से ऊँट प्रजाति के संरक्षण और संवर्धन हेतु राजस्थान के उन जिलों में ,जहाँ प्राकृतिक रूप से ऊँट बहुतायत में पाए जाते हैं ,वहाँ उनके उचित पालन-पोषण और प्रजनन केन्द्र आदि स्थापित करके उनके दूध को बड़े स्तर पर उत्पादन की रूपरेखा बनाकर उसे भी सरकारी या सहकारी दुग्ध संस्थानों जैसे मदर डेयरी ,दिल्ली मिल्क स्कीम ,अमूल ,पराग आदि के माध्यम से विपणन करके दुनिया के सर्वाधिक शुगर के मरीजों के लिए अभिशापित भारत की जनता को शुगर रोग से मुक्ति का मार्ग प्रशस्त कर सकती है ।
— निर्मल कुमार शर्मा 

*निर्मल कुमार शर्मा

"गौरैया संरक्षण" ,"पर्यावरण संरक्षण ", "गरीब बच्चों के स्कू्ल में निःशुल्क शिक्षण" ,"वृक्षारोपण" ,"छत पर बागवानी", " समाचार पत्रों एवंम् पत्रिकाओं में ,स्वतंत्र लेखन" , "पर्यावरण पर नाट्य लेखन,निर्देशन एवम् उनका मंचन " जी-181-ए , एच.आई.जी.फ्लैट्स, डबल स्टोरी , सेक्टर-11, प्रताप विहार , गाजियाबाद , (उ0 प्र0) पिन नं 201009 मोबाईल नम्बर 9910629632 ई मेल .nirmalkumarsharma3@gmail.com