कविता

काल चक्र

भूत भविष्य व वर्तमान,
काल चक्र के है प्रतिमान,
जब काल चक्र होता अनुकूल,
छूता है मनुज आसमान।
जब मनुष्य होता उच्च पदस्थ,
अक्सर पनपे उसको अभिमान,
समय चक्र का पहिया घूमे,
गिरता मनुज धरा पर धड़ाम।
जीवन में बहुत जरूरी है,
अतीत को रखना याद,
वर्तमान में सद्कर्म करो,
सुनहरे भविष्य की होती बुनियाद।
भूत मनुज का न रहा सुखद,
चल रहे समय को लो सवांर,
निश्चित ही हो जाएगा,
क्रम से जीवन में सुधार।
काल चक्र के पहिए ही,
जीवन के होते आधार,
कठिन परिश्रम व भाग्य से ही,
मिलता सदा सुखी संसार।
अतीत व वर्तमान का तुम,
करोगे यदि तिरस्कार,
भविष्य में न मिल पाएगा,
परिश्रम का कोई पुरस्कार।
लाल देवेन्द्र कुमार श्रीवास्तव

लाल देवेन्द्र कुमार श्रीवास्तव

सहायक अध्यापक मोहल्ला-बैरिहवा, पोस्ट-गाँधी नगर, जिला-बस्ती, 272001-उत्तर प्रदेश मोबाइल नं-7355309428