कविता

इंतजार 

पल-पल किया इंतजार
सदियों से बीते क्षण-क्षण
कर-कर इंतजार
पतझड़ भी बीत गया |
आ गया सावन
मन भावन
तुम मिलो प्रिये…
इस तरह
टूटे न मिलन का सिलसिला |
तेरे इंतजार में,
बर्बाद हुआ योवन
सपने, सपने बनकर रह गये
हकीकत से हुआ न सामना
कितनी बीती बरसातें
कोरी-कोरी रातें |
किया भरोसा
टूटी न आशा
पर तुम न समझे सम्बन्धों की परिभाषा
सहकर हर उतार-चढ़ाव
छलनी हो गया सीना
मत पूछो मेरा जीना
मर-मर कर जीना |
मुकेश कुमार ऋषि वर्मा 

मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

नाम - मुकेश कुमार ऋषि वर्मा एम.ए., आई.डी.जी. बाॅम्बे सहित अन्य 5 प्रमाणपत्रीय कोर्स पत्रकारिता- आर्यावर्त केसरी, एकलव्य मानव संदेश सदस्य- मीडिया फोरम आॅफ इंडिया सहित 4 अन्य सामाजिक संगठनों में सदस्य अभिनय- कई क्षेत्रीय फिल्मों व अलबमों में प्रकाशन- दो लघु काव्य पुस्तिकायें व देशभर में हजारों रचनायें प्रकाशित मुख्य आजीविका- कृषि, मजदूरी, कम्यूनिकेशन शाॅप पता- गाँव रिहावली, फतेहाबाद, आगरा-283111