कविता

सोए अरमान

आज जी चाहता है
लिखूँ एक पाती
प्रीत भरी पिया के नाम
कर दूं बयां
सोए अरमान सारे
कैसे विरह सताती है
हर सुबह
हर दिन
हर रात।।
वो सुबह की चाय
पर कभी होती जो बहस
फिर तुम्हारा मनाना
ऑफिस जाते हुए
देख हमारा कहना
शाम जल्दी आना
और तुम्हारा मुस्कुरा
कर गाल सहला जाना
दिन भर का इंतजार
बेकरारी की शाम
कब घर आओगे
होंगी कितनी बातें
दिन भर की ।।
लिख डालूं वो एहसास
सारे जो दिन भर टटोलते
है मुझे तेरे दूर जाने से
हुई फीकी चाय सुबह की
न रहा वो सामने से ऑफिस जाना
और शाम को घर लौट आना
बस है एक खालीपन
घर के हर कोने में
लिए तेरी यादों का बसेरा।।
आज जी चाहता है
लिखूँ एक पाती
पिया नाम तेरे
की लौट आओ न घर जल्दी
कब से ठीक से सोई नहीं हैं
ये आँखें
कब से ठीक से मुस्कराए नहीं हैं
ये लब
कब से हुई न कोई मनुहार
न कोई तकरार
बस भीगा भीगा सा मन
सोखता सोए अरमान सारे
आज जी चाहता है लिख
ही डालूं एक पाती नाम पिया के
अरमानों की स्याही से।।
मीनाक्षी सुकुमारन

मीनाक्षी सुकुमारन

नाम : श्रीमती मीनाक्षी सुकुमारन जन्मतिथि : 18 सितंबर पता : डी 214 रेल नगर प्लाट न . 1 सेक्टर 50 नॉएडा ( यू.पी) शिक्षा : एम ए ( अंग्रेज़ी) & एम ए (हिन्दी) मेरे बारे में : मुझे कविता लिखना व् पुराने गीत ,ग़ज़ल सुनना बेहद पसंद है | विभिन्न अख़बारों में व् विशेष रूप से राष्टीय सहारा ,sunday मेल में निरंतर लेख, साक्षात्कार आदि समय समय पर प्रकशित होते रहे हैं और आकाशवाणी (युववाणी ) पर भी सक्रिय रूप से अनेक कार्यक्रम प्रस्तुत करते रहे हैं | हाल ही में प्रकाशित काव्य संग्रहों .....”अपने - अपने सपने , “अपना – अपना आसमान “ “अपनी –अपनी धरती “ व् “ निर्झरिका “ में कवितायेँ प्रकाशित | अखण्ड भारत पत्रिका : रानी लक्ष्मीबाई विशेषांक में भी कविता प्रकाशित| कनाडा से प्रकाशित इ मेल पत्रिका में भी कवितायेँ प्रकाशित | हाल ही में भाषा सहोदरी द्वारा "साँझा काव्य संग्रह" में भी कवितायेँ प्रकाशित |