कवितापद्य साहित्य

बंद ताले की चाबी

बंद ताले की चाबी

हे भोले बाबा दे दो वरदान मुझे,
फिर से चुना जाऊँ इस गद्दी के लिए,
जो काम अधूरा रह गया मेरा,
समय रहते जीवन में कर जाऊँ पूरा।।

हर ताले की चाबी है पास तेरे,
ढूँढ निकाल और खोल दे बंद ताला मेरा,
मेहनत और मुसीबत से ना घबराऊँ कभी,
दे ताक़त इतनी करूँ हर समस्या का समाधान।।

हे प्रभु अगर वक़्त अच्छा ना चल रहा हो मेरा,
तो बदल दे बुरा वक़्त मेरा अच्छे में,
क्योंकि देखा है मैंने बहुत वक़्त बुरा ज़िंदगी में,
अब ना सह पाऊँगा बुरा वक़्त मैं।।

मौलिक रचना
नूतन गर्ग
दिल्ली

*नूतन गर्ग

दिल्ली निवासी एक मध्यम वर्गीय परिवार से। शिक्षा एम ०ए ,बी०एड०: प्रथम श्रेणी में, लेखन का शौक