गीतिका/ग़ज़ल

पूछ मत मेरे सफ़र का तज’रबा कैसा रहा…

पूछ मत मेरे सफ़र का तज’रबा कैसा रहा
पाँव में छाले लिये अँगार पर चलता रहा

ख़ूब कस मुझको कसौटी पर परीक्षा ले मेरी
हर कसौटी पर ख़रा उतरूँगा ये वादा रहा

शर्तिया बदलाव होगा ज़िन्दगी में एक दिन
आप ही कहिये समय कब एक सा किसका रहा

जानता है जो मिला तुझको उसी का है करम
और तेरा उम्र भर, तूने किया दावा रहा

वे हवा के साथ बहकर दूर तक पहुँचे बहुत
मैं मुखालिफ़ था हवाओं के, यहीं ठहरा रहा

चापलूसों के घरों में झिलमिलाई रोशनी
घर अना के मुद्दतों तक तम घना पसरा रहा

जो लगी थी मजहबों के नाम पर बुझ तो गयी
राख से लेकिन धुआँ अक्सर मियाँ उठता रहा

सतीश बंसल
१८.०७.२०१९

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.