कविता

नशा से तौबा कर लो

नशे के चुंगल में,
गिरफ्तार ना होना
वक्त से पहले तुम,
वर्बाद मत होना।
गम अगर आए,
मुस्कुराना सीख लेना
जोश में आकर तुम
नशे में गिरफ्तार मत होना।
नशा खुद ही गम है,
जबतक पता चलता
निकल जाता दम है
इसकी रंगीनियों में डूबकर
खुद को बर्वाद मत होने देना।
चंद लम्हों की रंगीनियाँ
तुमको बहलायेगी
जब आदत पड़ जाएगी
सारे कुकर्मो से जीवन
तुम्हारी जकड़ जाएगी।
वक्त रहते ही सभी
संभल जाओ दोस्तों
वरना आदत पड़ते ही
जीवन नर्क बन जाएगी ।
तौबा कहना हर
नशीले पदार्थों को
जिन्दगी में भर लो
हँसी और मुस्कुराहटो को।
— आशुतोष

आशुतोष झा

पटना बिहार M- 9852842667 (wtsap)