कविता

कभी कभी करता है मन।

कभी -कभी करता है मन।
त्याग के सब उधेड़-बुन।

करूं कुछ बातें तुमसे मैं;
और कुछ तुम कहो साजन।

मन करता हैभूल ये लम्हें;
रहें हम इक दूजे में मग्न।

ये फिज़ाएं ये नदियां सब;
शांत हो बस देखें मिलन।

तुम्हारी बेताबी और बेबाकी;
मैं समझूं झुका कर नयन।

कभी न बदले प्यार का मौसम;
इस रिश्ते की उम्र हो जन्म जन्म।

तुम्हें पाने के करूं मैं हर जत्न;
मैं बसुंधरा तुम बन जाओ गगन।

कामनी गुप्ता

माता जी का नाम - स्व.रानी गुप्ता पिता जी का नाम - श्री सुभाष चन्द्र गुप्ता जन्म स्थान - जम्मू पढ़ाई - M.sc. in mathematics अभी तक भाषा सहोदरी सोपान -2 का साँझा संग्रह से लेखन की शुरूआत की है |अभी और अच्छा कर पाऊँ इसके लिए प्रयासरत रहूंगी |