गीतिका/ग़ज़ल

गजल

मिला क्या मुहब्बत जताकर हमें।
गया मुस्कुराते रूलाकर हमें।।
ये दिल मानता कब हमारी सनम।
हुआ खुश ये अक्सर जलाकर हमें।।
न सुकूं न चैनो अमन है मिला।
बदल कर गया इश्क आकर हमें।।
करेगा दगा हमसे शायद सनम।
गया धोखे से वो सुलाकर हमें।।
यकींनन मुहब्बत नही मुझसे है।
तभी वो गया मुंह चिढ़ाकर हमें।।
सनम है वो पत्थर का यारों सुनो।
वो बोला नही यूं बुलाकर हमें।।
मेरा दिल रोया दिल लगाकर दोस्त।
वो आया नही घर बुलाकर हमें।।
प्रीती श्रीवास्तव

प्रीती श्रीवास्तव

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