गीत/नवगीत

गीत – कलम/लेखनी/तूलिका

कलम कहीं कब रुक पाती है ,नभ में परे उड़ान ।
 कह जाती है प्रीत दिलों की ,नयन लिए अरमान ।
आड़े-तिरछे शब्द उकेरे , भर-भर उर में  भाव ।
अनबुझ,गहरे इन शब्दों से,मेरा रहा लगाव ।
रंग बिखेरे सतरंगी भी  ,जब मन हो वीरान ।
कह जाती है प्रीत दिलों की ,नयन लिए अरमान ।
जाने किसका बिम्ब उभारे ,अक्षर अक्षर जाल ।
कहीं लहर का नृत्य अनोखा ,कहीं पवन दे ताल ।
श्वास सुवासित करती सौंधी मिट्टी की मुस्कान ।
कह जाती है प्रीत दिलों की ,नयन लिए अरमान ।
पीड़ा मीरा की लिखती अरु,राधा जी का प्यार ।
वीर जवानों की करती है ,कलम मेरी जयकार ।
छन्द,गजल,गीतों को मेरे ,देती है पहचान ।
कह जाती है प्रीत दिलों की ,नयन लिए अरमान ।
रीना गोयल 

रीना गोयल

माता पिता -- श्रीओम प्रकाश बंसल ,श्रीमति सरोज बंसल पति -- श्री प्रदीप गोयल .... सफल व्यवसायी जन्म स्थान - सहारनपुर .....यू.पी. शिक्षा- बी .ऐ. आई .टी .आई. कटिंग &टेलरिंग निवास स्थान यमुनानगर (हरियाणा) रुचि-- विविध पुस्तकें पढने में रुचि,संगीत सुनना,गुनगुनाना, गज़ल पढना एंव लिखना पति व परिवार से सन्तुष्ट सरल ह्रदय ...आत्म निर्भर