गीतिका/ग़ज़ल

इस जिंदगी का भी कोई सबब रहा होगा

सरापा ये रूह का, क्या बेसबब रहा होगा।
इस जिंदगी का भी, कोई सबब रहा होगा।।

किसको सुनाता हाल, करता किसे शिकायत।
अनकहे अल्फाज का भी, कोई अदब रहा होगा।।

भरता रहा हूँ रंग मैं, तस्वीर में मिरी ही।
ख्यालातों का मिरे भी, कोई मतलब रहा होगा।।

लिखता रहा हूँ नाम, इस तस्वीर में तिरा भी।
पीर में मिरी तू , बेदार जब रहा होगा।।

करता हूँ बात जब भी, इस तस्वीर से तड़पकर।
बसर में भी शामिल वो, बा-सबब रहा होगा।।

प्रमोद कुमार स्वामी

प्रमोद कुमार स्वामी

करेली (म.प्र.)