गीतिका/ग़ज़लपद्य साहित्य

ग़ज़ल

चारो तरफ की’ मार से’ दुश्मन बिखर गए
जांबाज़ सैनिकों की’ दिलेरी से’ डर गए |
हर एक ने लिखा नया’ इतिहास जंग में
दश दश को’ मारकर वहां’ से कूच कर गए |
जब भाग दौड़ खूब मची, सबकी नज़र बचा
वो शत्रु भागकर दगा’ देकर किधर गए ?
चारो तरफ है’ फांद किधर जायगा अभी
वो जान से जरूर मरेगा अगर गए |
संसार की तमाम ख़ुशी त्याग कर दिया
सब काम ख़त्म जब हुआ’ आनंद घर गए |
वादा किया अनेक निभाया को’ई नहीं
समझे यही कि वक्त अभी तो गुज़र गए |
ईमान का नहीं को’ई’ धंधा, नसीब है
वादे से’ रहनुमा अभी’ खुद ही मुकर गए |
‘काली’ कहा, पता करो’ हम हार क्यों गए
इस हार से घमंड का’ पारा उतर गए |
कालीपद ‘प्रसाद’

*कालीपद प्रसाद

जन्म ८ जुलाई १९४७ ,स्थान खुलना शिक्षा:– स्कूल :शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय ,धर्मजयगड ,जिला रायगढ़, (छ .गढ़) l कालेज :(स्नातक ) –क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान,भोपाल ,( म,प्र.) एम .एस .सी (गणित )– जबलपुर विश्वविद्यालय,( म,प्र.) एम ए (अर्थ शास्त्र ) – गडवाल विश्वविद्यालय .श्रीनगर (उ.खण्ड) कार्यक्षेत्र - राष्ट्रीय भारतीय सैन्य कालेज ( आर .आई .एम ,सी ) देहरादून में अध्यापन | तत पश्चात केन्द्रीय विद्यालय संगठन में प्राचार्य के रूप में 18 वर्ष तक सेवारत रहा | प्राचार्य के रूप में सेवानिवृत्त हुआ | रचनात्मक कार्य : शैक्षणिक लेख केंद्रीय विद्यालय संगठन के पत्रिका में प्रकाशित हुए | २. “ Value Based Education” नाम से पुस्तक २००० में प्रकाशित हुई | कविता संग्रह का प्रथम संस्करण “काव्य सौरभ“ दिसम्बर २०१४ में प्रकाशित हुआ l "अँधेरे से उजाले की ओर " २०१६ प्रकाशित हुआ है | एक और कविता संग्रह ,एक उपन्यास प्रकाशन के लिए तैयार है !