कविता

मैं कश्मीर हूँ

मैं कश्मीर हूँ।।।।

मेरा मस्तक दमक रहा हैं,
सूर्य की रश्मियों से आज,
मैं था भारत का अभिन्न अंग ,
कहने को मात्र पर था नहीं।

होते रहते थे दंगे आतंक ,
दामन में मेरे अक्सर ही,
मैंने लूटते देखा सब कुछ,
ख़ौफ़नाक होता मंज़र वो।

आज मेरे ही बेटों ने मुझे,
बनाया अभिन्न अंग भारत का,
सर मेरा हो गया गर्व से ऊपर,
देखो मेरे सर को चमकते हुए।

धरती का स्वर्ग कहलाता हूँ,
कश्मीर कहलाता हूँ प्यारा ,
मुग्ध हो सुंदरता पर मेरी,
सभी खींचें चले आते थे।

मेरी हरी भरी वादियों में,
बर्फ की बारिश में लोग,
परम आनंद महसूस करते,
खुद को स्वर्ग में देखते ।

पर जब से मुझे केंद्रशासित ,
बनाया प्रदेश है तब से ही,
मन मेरा बेचैन हो गया ,
डर खुशी साथ साथ हैं।

हर कोई चाहे कश्मीर में,
लेना अपनी जमीन को,
सभी आये और बिताए ,
कुछ पल जीवन के ।

पर जमीन ले लेंगे सभी,
नहीं रहेगी ये हरी वादियां,
जंगल प्यारे कट जाएंगे,
पहाड़ियों की बर्फ नहीं होगी ।

जो मैं आज कहलाता स्वर्ग हूँ,
वो सिर्फ एक राज्य ही रह जाऊंगा,
नहीं, नहीं ऐसा जुल्म नहीं करो,
मेरी सुंदरता को खत्म न करो।

आओ सभी जब मन करे तब,
खूब रहों , खेलो, घूमों यहाँ,
मेरे दामन में तुम सब ,
ये भी घर ही हैं तुम्हारा।

मैं खुश हूँ आज बहुत ,
मस्तक दमक रहा आज हैं,
एक नया इतिहास बना हैं,
मेरे नाम से आज ।

अब न होंगे आतंकी हमले,
मेरे बेटों को बम से नहीं मरेगा ,
नहीं होगा कोई नरसंहार अब,
हर तरफ खुशी होगी बस।

सारिका औदिच्य

*डॉ. सारिका रावल औदिच्य

पिता का नाम ---- विनोद कुमार रावल जन्म स्थान --- उदयपुर राजस्थान शिक्षा----- 1 M. A. समाजशास्त्र 2 मास्टर डिप्लोमा कोर्स आर्किटेक्चर और इंटेरीर डिजाइन। 3 डिप्लोमा वास्तु शास्त्र 4 वाचस्पति वास्तु शास्त्र में चल रही है। 5 लेखन मेरा शोकियाँ है कभी लिखती हूँ कभी नहीं । बहुत सी पत्रिका, पेपर , किताब में कहानी कविता को जगह मिल गई है ।