कवितापद्य साहित्य

प्रभात कामना

# प्रभात कामना

जगमग जागी रेशमी किरणें
बीत गई है रात
नवल भोर है लेकर आई
खुशियों की सौगात

जागो मेरे हिन्द के वीरों
जागो मेरे यार
देश धर्म की सेवा करने
हो जाओ तैयार

जो भी जहां हैं सत्यप्राण से
करें देशहित काम
रहें अमन से , रखे अमन मे
‘बू’ पर कसे लगाम

हालात बने चाहे जैसे भी
रहें देश का ध्यान
सबसे पहले देश , हो सबसे
ऊंचा स्वाभिमान

जय हिन्द
जय भारत

समर नाथ मिश्र
रायपुर