राजनीति

गीत हुए मधुर नाच उठा मयूर

जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद -370 ,35A को हटाया जाने से क्षेत्र के रहवासियों खुशी और सुविधाएं प्राप्त हुई। | केंद्र शासित प्रदेश बने को इन फैसलों का कई वर्षो से इंतजार था |भारत का अभिन्न अंग में अब वहाँ के पुराने रहवासियों को अपने घरों में लौटने की ख़ुशी,वही देश भर में खुशियों के गीत गाए जा रहे है | अंतर्राष्ट्रीय स्तर की बैठकों में पाक द्धारा आतंकवादी गतिविधियों एवं आतंक को पनाह देने से सभी देशों ने मिलकर सख्त कदम “पाकिस्तान से बातचीत बंद “के गीत गाना होगा तभी विश्व शांति को धरती पर स्थापित कर सकते है ।देखा जाए तो गीत की कल्पना,राग,संगीत के साथ गायन की मधुरता कानो में मिश्री घोलती साथ ही साथ मन को प्रभावित भी करती है | गीतों का इतिहास भी काफी पुराना है | रागों के जरिए दीप का जलना, मेघ का बरसना आदि किवदंतियां प्रचलित रही है ,वही गीतों की राग ,संगीत जरिए घराने भी बने है |
गीतों का चलन तो आज भी बरक़रार है जिसके बिना फिल्में अधूरी सी लगती है | टी वी ,रेडियों ,सीडी ,मोबाइल आइपॉड आदि अधूरे ही है | पहले गावं की चौपाल पर कंधे पर रेडियो टांगे लोग घूमते थे | घरों में महत्वपूर्ण स्थान होता का दर्जा प्राप्त था | कुछ घरों में टेबल पर या घर के आलीए में कपड़ा बिछाकर उस पर रेडियों फिर रेडियों के ऊपर भी कपड़ा ढकते थे जिस पर कशीदाकारी भी रहती थी | बिनाका -सिबाका गीत माला के श्रोता लोग दीवाने थे | रेडियों पर फरमाइश गीतों की दीवानगी होती जिससे कई प्रेमी -प्रेमिकाओं के प्रेम के तार आपस में जुड़ जाते थे |वो गीतों में इतने भावुक हो जाते थे की वे अपने आप को हीरो -हीरोइन समझने लगते |फिल्मो के शीर्षक भी रखे जाने लगे -गीत ,गीत गाता चल,गीत गया पत्थरों ने आदि ।
वाहन चलाते समय मोबाइल पर बात करने व् हेड फोन कानों में लगाकर गीत सुनने से भी दुर्घटनाओं की आशंका बानी रहती है | क्योकि वाहन चालक का ध्यान मोबाइल सुनने में लगा रहता है | पीछे से हार्न देने वाले की सुनवाई भी नहीं होती | मोबाइल पर बातें व् गीत सुनने का शोक है तो तनिक रुक कर या घर जाकर भी तसल्ली सी गीत मोबाईल पर सुने जा सकते है और दुर्घटनाओं के आकड़ों में कमी करने में अपनी भूमिका अदा की जा सकती है |
दूर कही सुनसान माहौल में बजता गीत वाकई कानों में मधुर रस आज भी घोल जाता है ।गीत अब मोबाईल के संग जेबों में जा घुसे ,गीतों में प्रतिस्पर्धा होने लगी । हर चैनल पर गायकों की प्रतियोगिता में अंक मिलने लगे ।निर्णायकों की डॉट पढ़ने और समझाईश की टीप प्राप्त होने लगी । जिससे प्रतिभागियों के चेहरे पर उतार चढाव झलकने लगा ।
पृथ्वी पर देखा जाये तो गीतों को अमरता प्राप्त है । पृथ्वी पर कोई भी ऐसा देश नहीं है जहाँ गीतों का चलन न हो । वैज्ञानिकों ने गीतों को ब्रम्हांड में भी प्रेषित किया है ताकि बाहरी दुनिया के लोग इस संकेत को पकड़ सके।शादी -ब्याह में वाद्य यंत्रों के साथ गीत गाने का चलन बढ़ने लगा है । गीतों की पसंदगी व् हिस्सेदारीहर कोई आगे आया है ।पहले के ज़माने में बच्चे -बूढ़े सभी अंतराक्षरी खेल कर अपने गायन कला का परिचय करवाने के साथ ही जीतने व् ज्यादा गीतों को याद रखने की कला को बखूबी जानते थे। वर्तमान में जम्मू कश्मीर में फिजाएं भय मुक्त होकर गीत गाने लगी है | जो खुशहाली पक्ष की एक नई दिशा कही जाएगी |गीतों में मधुरता जब ही प्राप्त होती जब समस्याओं का त्वरित हल होता। समस्याओं का समाधान हुआ |गीत मधुर हुए |

संजय वर्मा “दृष्टी”

*संजय वर्मा 'दृष्टि'

पूरा नाम:- संजय वर्मा "दॄष्टि " 2-पिता का नाम:- श्री शांतीलालजी वर्मा 3-वर्तमान/स्थायी पता "-125 शहीद भगत सिंग मार्ग मनावर जिला -धार ( म प्र ) 454446 4-फोन नं/वाटस एप नं/ई मेल:- 07294 233656 /9893070756 /antriksh.sanjay@gmail.com 5-शिक्षा/जन्म तिथि- आय टी आय / 2-5-1962 (उज्जैन ) 6-व्यवसाय:- ड़ी एम (जल संसाधन विभाग ) 7-प्रकाशन विवरण .प्रकाशन - देश -विदेश की विभिन्न पत्र -पत्रिकाओं में रचनाएँ व् समाचार पत्रों में निरंतर रचनाओं और पत्र का प्रकाशन ,प्रकाशित काव्य कृति "दरवाजे पर दस्तक " खट्टे मीठे रिश्ते उपन्यास कनाडा -अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्व के 65 रचनाकारों में लेखनीयता में सहभागिता भारत की और से सम्मान-2015 /अनेक साहित्यिक संस्थाओं से सम्मानित -संस्थाओं से सम्बद्धता ):-शब्दप्रवाह उज्जैन ,यशधारा - धार, लघूकथा संस्था जबलपुर में उप संपादक -काव्य मंच/आकाशवाणी/ पर काव्य पाठ :-शगुन काव्य मंच