गीत/नवगीत

दोहा गीत – कश्मीर

चलो चलें कश्मीर में, जहां देवता वास।
रक्षाबंधन ईद का जश्न मनाएं खास।
सत्तर सालों से यहां, पनपा था आतंक।
ओछी चालें चल रहे, मार रहे थे डंक।
जम्मू अरु कश्मीर का,रोका खास विकास।
चलो चलें कश्मीर में, जहां देवता वास।
भारत के कुछ पातकी, देते उनका संग।
कहते हम तो लड़ रहे, आजादी की जंग।
सरकारी आदेश का, उड़ा रहे परिहास।
चलो चलें कश्मीर को, जहां देवता वास।
फिर से महके वादियां,सेवों के बागान।
झील पुनः आबाद हो,सुधर जाय नादान।
भाईचारे का सभी, लिखदें फिर इतिहास।
चलो चलें कश्मीर को, जहां देवता वास।
मिलें मिलाएं तन बदन, और बढ़ाएं प्यार।
ईद मने दीपावली, मने सभी त्यौहार।
कुटिल मनुष्यों को कभी, बैठाये नहिं पास।
चलो चलें कश्मीर को जहां देवता वास।
— प्रेम सिंह राजावत प्रेम

प्रेम सिंह "प्रेम"

आगरा उत्तर प्रदेश M- ९४१२३००१२९ Prem.rajawat1969@gmail.com