कविता

कसम तिरंगे की

कसम  तिरंगे की
वंचितो को अधिकार दिलाएँगे
संविधान के सागर से
सबको इंसाफ दिलाएँगे।
कसम तिरंगे की
वीरो की सपनों की खातिर
अपनी जान की बाजी लगाएँगे
आतंकबाद की छाती पर
अब तिरंगा फहरायेंगे।
कसम तिरंगे की
दुश्मन जब सामने आएँगे
अपनी वीरता से उसको धूल चटाएँगे
शान में थोडी भी गुस्ताखी करोगे तो
इस्लामाबाद तक तिरंगा फहरायेंगे।
कसम तिरंगे की
चैन से सबको रहने दो
बदल जाओ तुम भी अब
बगल में झांकना छोड़ दो
बदल गया हिन्दुस्तान अब
गिदड़ भभकी देना छोड़ दो।
कसम तिरंगे की
तिरंगा हमको जान से प्यारी है
दिल लगा लो इससे तुम भी
तुम्हारी सलामती के लिए जरूरी है।
कसम तिरंगे की
घाटी की वादियों में
तिरंगा ही अब लहरायेंगे
56″की नीतियाँ से अब
खुशहाली ही खुशहाली आएँगे।
कसम तिरंगे की
बंदे मातरम और भारत माता की जय सभी लोग गाएँगे
समस्त भारत तिरंगा के नीचे
एकसूत्र में बंध जाएँगे।
— आशुतोष

आशुतोष झा

पटना बिहार M- 9852842667 (wtsap)