बाल कविता

काश ! मैं फिर से बच्चा बन पाती 

मुझको भी गर… कोई जिन्न मिल जाता,
और पूछता मुझसे… मेरी अभिलाषा !
बिन सोचे उसको… मैं कह जाती,
काश ! मैं फिर से बच्चा बन पाती !!

संगी साथियों संग… बेफिक्र खेलती,
उन झगड़ों का सुख… फिर से झेलती !
फिर रूठी को मनाने… टोली आ जाती
काश ! मैं फिर से बच्चा बन पाती !!

बरसात में कागज़ की… नाव चलाती,
रेत की ढेरी पर… महल बनाती !
बचपन की यादें हैं … अब भी तड़पतीं,
काश ! मैं फिर से बच्चा बन पाती !!

इक -दूजे के लिए थे… लड़ मर जाते,
व्यवसायिक नहीं… थे दिलों के नाते !
उन पलों को मैं, फिर से जी पाती,
काश ! मैं फिर से बच्चा बन पाती !!

करके शरारतें जब… मैं थक जाती
पापा की गोदी में… झट सो जाती !
प्यार से जब माँ… लोरी सुनाती
नींदिया रानी … झट से आ जाती !!

बच्चों संग अब भी … बनती हूँ बच्ची
इस बात पर अब मैं… डाँट हूँ खाती !
काश ! मैं सच में बच्चा बन पाती !!
काश ! मैं फिर से बच्चा बन पाती !!

अंजु गुप्ता
हिसार

*अंजु गुप्ता

Am Self Employed Soft Skill Trainer with more than 24 years of rich experience in Education field. Hindi is my passion & English is my profession. Qualification: B.Com, PGDMM, MBA, MA (English), B.Ed