कविता

रूठी हुई राधा को कैसे मनाऊँ

श्याम बांसुरी की धुन तुम सुनाया करो
प्यारी राधा को यूँ न तुम सताया करो।

राधा के रूह और मन में समाये
कृष्ण के नाम की मेंहदी रचाये,
मुझे तन-मन में ऐसे न बसाया करो
प्यारी राधा को यूँ न तुम सताया करो।

कब से मैं खड़ी तेरी राह निहारूँ
तेरी यादों को मैं मन में बसाऊँ,
मेरी बातों से यूँ न मुस्कराया करो
प्यारी राधा को यूँ न तुम सताया करो।

बिरह में डूबी राधिका प्यारी
देर से क्यों आये कृष्णमुरारी,
कान्हा राधा के मन को लुभाया करो
प्यारी राधा को यूँ न तुम सताया करो।

रास रचाये रहीं सखियाँ सारी
नाच रही आज राधिका प्यारी,
प्यार की मधुर धुन बजाया करो
प्यारी राधा को यूँ न तुम सताया करो।

रूठी हुई राधा को कैसे मनाऊँ
मन मंदिर में तेरे सपने सजाऊँ,
बैठ मेरे पास आँसू बहाया न करो
प्यारी राधा को यूँ न तुम सताया करो।

सोचता मैं तेरे साथ वक्त बिताऊँ
तेरे बगैर अब मैं जी भी न पाऊँ,
इन अधरों से थोड़ा मुस्कराया करो
प्यारी राधा को यूँ न तुम सताया करो।

सुमन अग्रवाल “सागरिका”
आगरा

सुमन अग्रवाल "सागरिका"

पिता का नाम :- श्री रामजी लाल सिंघल माता का नाम :- श्रीमती उर्मिला देवी शिक्षा :-बी. ए. ग्रेजुएशन व्यवसाय :- हाउस वाइफ प्रकाशित रचनाएँ :- अनेक पत्र- पत्रिकाओं में निरन्तर प्रकाशित। सम्मान :- गीतकार साहित्यिक मंच द्वारा श्रेष्ठ ग़ज़लकार उपाधि से सम्मानित, प्रभा मेरी कलम द्वारा लेखन प्रतियोगिता में उपविजेता, ताज लिटरेचर द्वारा लेखन प्रतियोगिता में तृतीय स्थान, साहित्य सुषमा काव्य स्पंदन द्वारा लेखन प्रतियोगिता में तृतीय स्थान, काव्य सागर द्वारा लेखन प्रतियोगिता में श्रेष्ठ कहानीकार, साहित्य संगम संस्थान द्वारा श्रेष्ठ रचनाकार सम्मान, सहित्यपिडिया द्वारा लेखन प्रतियोगिता में प्रशस्ति पत्र से सम्मानित। आगरा