कविता

जिन्दगी में लौटकर आना

शुष्क होती जमीन पर
बारिश बन  बरसना
बेजान होती मुस्कराहटों पर
इत्र सा महकना
कुछ यूं हुआ है तेरा
मेरी जिन्दगी में लौटकर आना ।।
मुरझाये ख्वाबों की
बगिया का खिलना
पंछियों के शोर से
ज्यों सुबह का होना
कुछ यूँ हुआ है तेरा
मेरी जिन्दगी मे लौटकर आना।।
बिन घुंघरू  पैरों का थिरकना
बेवजह बच्चों सा खिलखिलाना
बेपरवाह  होकर
खुद पर इतराना
कुछ यूँ  हुआ है तेरा
मेरी जिंदगी में लौटकर आना ।।
प्रेम मंथन में बन शिव
देकर अमरत्व ,तेरा यूँ पलटना
अब जो आये हो लौटकर
मेरी जिन्दगी में ….
यूँ कभी फिर अब न जाना ।।।
रजनी चतुर्वेदी (विलगैयां) 

रजनी बिलगैयाँ

शिक्षा : पोस्ट ग्रेजुएट कामर्स, गृहणी पति व्यवसायी है, तीन बेटियां एक बेटा, निवास : बीना, जिला सागर