लघुकथा

कहने भर से प्यार नहीं होता

सुषमा : दीदी, आज राज ने मुझे प्रोपोज़ किया है … पर मैं बहुत कन्फ्यूज़ हूँ … यूं तो घड़ी-घडी “I love you !” कहता है … पर ….अच्छा दीदी … कैसे पता चले की कोई आपको वाक़ई चाहता है की नहीं …

उज्ज्वला : सुष .. अगर सचमुच तुम किसी के एहसास की गहराई नापना चाहती हो … तो सुनो …ध्यान से सुनो … वो नहीं जो वो कहता है … पर जो वो नहीं कहता है ..अनकहा …

सुषमा : ये क्या बात हुई दीदी ?

उज्ज्वला : वो किस तरह से तुम्हारा ख्याल रखता है … तुम्हें इज़्ज़त देता है . .. तुम्हारे सुख दुःख में कितना हिस्सेदार बनता है … तुम्हारी गलतियों पर कैसा व्यवहार रखता है … क्या सचमुच तुम्हें उसके साथ बिताया हुआ हर पल अच्छा लगता है …

सुषमा : दीदी राज कॉलेज का हीरो है ….. हैंडसम … अमीर … सब लड़कियां उसपर मरती हैं …..

उज्ज्वला : डिअर सुष … ये सब बातें एक हद तक मैटर करती हैं . … फिर इंसान को तुम बाहर से नहीं दिल से देखना शुरू करते हो … एक ऐसा इंसान जो आपकी छोटी से छोटी जीत और बड़ी से बड़ी हार में आपके साथ खड़ा होता है . … एक सच्चे दोस्त की तरह .. याद रखना … “I love you !”” कहने भर से प्यार नहीं होता …
सुषमा : समझ गयी दीदी … अब कहने से ज़्यादा अनकहा सुनने की कोशिश करुँगी ..

उज्ज्वला : गुड़ गर्ल ….और हाँ गुड़ लक !

*अर्चना पांडा

कैलिफ़ोर्निया अमेरिका