कविता

नव संकल्प

जीवन में कुछ करना है तो
नये नये संकल्प लेने होंगे,
नयी-नयी आशायें
नव स्वप्न हम रोज बुन चलें
नयी -नयी धारायें।
केवल अपने लिए नहीं है।
अपना यह जीवन
देश, राष्ट्र की सेवा में हो
अर्पित यह तन-मन।
जूठन की ढेर में
चावल के दाने को ढूंढती
नन्हीं-नन्हीं उंगलियां।
सूखती अंतड़ियों के लिए भी
जीवन में कुछ करना होगा,
संवेदनशील होना ही होगा।
जीवन अतीत के क्षण की थाती है
भावी के सपनों की दीपक बाती है,
सबके प्रति प्रेम, दयाभाव ही जीवन है।

कालिका प्रसाद सेमवाल

कालिका प्रसाद सेमवाल

प्रवक्ता जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान, रतूडा़, रुद्रप्रयाग ( उत्तराखण्ड) पिन 246171