गीत/नवगीत

गीत

माँ है मेरी हर दर्द मेरा जान जाती है।
आहट से मेरी मुझे पहचान जाती है।।

हर शरारत मेरी और मेरी नादानियाँ।
वाकिफ है रग रग से मेरे जानती बेचैनियाँ।
देखकर बचपन मेरा वो मुस्कुराती है।।

खुद रही भूखा मगर मेरा पेट भरती रही वो।
अनपढ़ है मगर मेरा हर भाव पढ़ती रही वो।
बिगड़े जो सेहत मेरी तो वो घबरा जाती है।

माँ की महिमा को तो खुद भगवान गाता है।
उसकी दुआ से दुःख दर्द सारा भाग जाता है।
माँ रहे घर में अगर तो सब खुशियां समाती है।

प्रमोद कुमार स्वामी

प्रमोद कुमार स्वामी

करेली (म.प्र.)