कहानी

किसे कहूँ खुशी

ज़िंदगी रोज एक पन्ना पलटकर आगे बढ़ जाती है,लेकिन जब पिछले पन्ने पलटो तो कुछ ऐसे यादगार पल नज़र आ जाते हैं कि वापस उन्हें जी लेने की ललक पैदा हो जाती है। कुछ ऐसा ही सोच रही थी सोमा | उसे याद आने लगा वो सब जब वो शिवम से मिली थी। डाकघर में पीसीएस के फॉर्म लेने के लिए लम्बी लाइन लगी थी। लड़कों की लाइन तो बहुत लंबी थी लेकिन लड़कियों की लाइन उसकी तुलना में काफी छोटी थी।
सोमा भी लाइन में लगी अपनी बारी आने का इंतजार कर रही थी कि तभी उसने अपने कंधे पर किसी का स्पर्श महसूस किया | पलट कर देखा तो एक लड़का था वो बोला, “क्या आप अपने साथ मेरा भी फॉर्म ले लेंगी ? असल में मेरी माँ का मोतियाबिंद का ऑपरेशन हुआ है वो हॉस्पिटल में हैं मुझे जल्दी पहुँचना है।मेरे भाई को ऑफिस जाना है तो मुझे वहीं रुकना है।अगर लाइन में लगूंगा तो दोपहर हो जायेगी।प्लीज्”
सोमा ने बिना कोई जवाब दिए हाथ बढ़ाकर उससे पैसे ले लिये। काउंटर पर पहुँचकर सोमा ने दो फॉर्म मांगे तो फॉर्म देने वाले अंकल ने उसे टेढ़ी नजरों से देखा और होंठों में ही कुछ बुदबुदाया | सोमा ने उसे इग्नोर करते हुए फॉर्म लिए और फॉर्म और बचे हुए पैसे पास के पेड़ के नीचे खड़े शिवम को लौटाने लगी |
शिवम : आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | अरे! ये पैसे लौटाने की क्या जरूरत थी ?
सोमा : मि.आपकी माँ का ऑपरेशन हुआ है इसलिये मैंने आपकी हेल्प की ,आपके पैसे रखने के लिए नहीं |
“अरे मेरा वो मतलब नहीं था ,माफ़ कीजियेगा | वैसे मेरा नाम शिवम् है | अल्लापुर में रहकर सिविल की तैयारी कर रहा हूँ | आप भी शायद सिविल की ही तैयारी कर रही हूँ |”शिवम ने संकोच करते हुए कहा |
“हाँ, तभी तो लाइन में लगे थे फॉर्म लेने के लिए ?”सोमा ने मुस्कुराते हुए कहा | जवाब में शिवम भी मुस्कुरा दिया |
यही थी दोनों की पहली मुलाकात |
सोमा आजकल कोचिंगों के चक्कर लगा रही थी,कई जगह जाकर पता कर चुकी थी जहाँ फैकल्टी अच्छी थी वहां फीस बहुत ज्यादा थी,उतने पैसे अगर घर से मांगने पड़े तो तूफ़ान ही आ जायेगा | हर महीने का खर्चा मांगते तो इतना ख़राब लगता है | दिल्ली की कोचिंग इलाहाबाद में नयी-नयी खुली थी,बड़ी चर्चा थी इसकी स्टूडेंट्स में | सोचा मैं भी जाके देखती हूँ | वहां पता किया तो तीन दिन का फ्री ट्रायल मिल रहा था , चलो ट्रायल ही सही | एडमीशन तो मैं ले नहीं पाउंगी |
पहले दिन की ट्रायल क्लास बहुत अच्छी थी | कितना उत्साह भर दिया सर ने | वास्तव में सब कुछ मैनेजमेंट और कांफिडेंस ही है | एग्जाम निकालना कुछ मुश्किल नहीं है | उत्साह में भरी सीढ़ियाँ उतर रही थी कि सामने आते शिवम ने उसे रोका, “अरे सुनिए,सॉरी मुझे आपका नाम नहीं मालूम |”
मेरा नाम सोमा भारती है , सोमा ने जवाब दिया |
शिवम : आप भी यहीं क्लास करती हैं पहले तो कभी नहीं देखा आपको ?
सोमा : कैसे देखते , मैं आज पहली बार ही तो आई हूँ |
शिवम : अच्छा , मॉर्निंग बैच ज्वाइन किया है आपने ?
सोमा : नहीं,आज ट्रायल के लिए आई थी | अभी ज्वाइन नहीं किया |
शिवम : लेकिन आप मॉर्निंग वाला बैच मत ज्वाइन करियेगा | दोपहर वाला करियेगा |
सोमा :क्यों आपने ज्वाइन किया है दोपहर वाला इसलिये ?
शिवम : नहीं ऐसी बात नहीं है | मैं इसलिये कह रहा हूँ क्योंकि सर की ट्रेन अक्सर लेट हो जाती है और वो मॉर्निंग वाले बैच में बहुत कम समय दे पाते हैं |
सोमा : अच्छा | बताने के लिए थैंक यू | वैसे मुझे कोई भी बैच नहीं ज्वाइन करना | ट्रायल फ्री था इसलिये आ गयी थी | दरअसल फीस बहुत ज्यादा है | मैं अफोर्ड नहीं कर सकती |
शिवम : हाँ, फीस तो ज्यादा है और ये लोग किसी की सिफारिश भी नहीं मानते | मैंने कोशिश भी की थी कम कराने की,लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ | ज्वाइन कर लिया है अभी तो घर पे बताया भी नहीं है | देखा जायेगा जो होगा | आप ऐसा करिए मुझसे नोट्स ले लीजियेगा | कोई डाउट्स होंगे अगर तो हम क्लास के बाद डिसकस कर लेंगे |
“ अरे ,रहने दीजिए।ठीक है | मेरी इतनी चिंता करने के लिए थैंक्स | मैं चलती हूँ |”सोमा ने कदम आगे बढ़ाते हुए कहा | “आप सोच लीजिये | जैसा आपको ठीक लगे | मैं तो बस आपकी हेल्प करना चाहता था | बाय |”, कहते हुए शिवम अपनी क्लास की तरफ बढ़ गया |
अगले दिन की ट्रायल क्लास के बाद सोमा शिवम से नोट्स लेने को राज़ी हो गयी | शिवम ने उसे अपने नोट्स की फोटो कॉपी करा के दे दी | शिवम ने कहा कि अगर वो चाहे तो वो रोज क्लास के बाद उसे नोट्स की फोटो कॉपी दे सकता है | सोमा ने कहा , अभी नहीं पहले मैं इतना पढ़ के देख लूँ कि समझ में आता है या नहीं | फिर बताउंगी | “कब और कैसे बतायेंगी ?” शिवम ने प्रश्न किया|
“एक्चुअली मेरे पास मोबाइल फोन नहीं है | मेरी रूम पार्टनर के पास है लेकिन उसका नम्बर देने से पहले उससे पूछना पड़ेगा |” ,सोमा ने जवाब दिया |
“ठीक है अगर आपकी रूम पार्टनर राजी हो तो आप शाम को उसके मोबाइल से मुझे मिस कॉल कर देना | मैं फोन कर लूँगा।ये रहा मेरा नम्बर”,शिवम एक स्लिप सोमा को देते हुए बोला
“शाम तक मैं सारा नोट्स नहीं पढ़ पाउंगी कि आपको बता दूँ |” सोमा ने हंसते हुए कहा ।
अपनी रूम पार्टनर किरन से अनुमति लेने के बाद सोमा ने शिवम को उसके कहे मुताबिक मिस्ड कॉल की।शिवम ने नम्बर सेव कर लिया।
फोन पर बात करने के दौरान ही शिवम और सोमा ने तय किया कि वो रोज शाम को कम्पनी गार्डेन में मिलकर रोज का नोट्स साथ में डिस्कस कर लिया करेंगे | इसी तरह दोनों की मुलाकातें रोज होती रहीं और जब तक क्लास समाप्त हुई तब तक ये रोज की मुलाकात आदत बन चुकी थी | दोनों ही बेसब्री से शाम होने का इंतजार करते |
तब तक पी सी एस का प्री एग्जाम भी नजदीक आ गया था | दोनों ने खूब मन लगाकर तैयारी की | सोमा ने कुछ बचत की थी | उसी में कुछ अपनी बचत मिलाकर शिवम ने उसके लिए एक मोबाइल खरीद लिया था ताकि दोनों आसानी से बात कर सकें |रिलायन्स के मिनट वाले पैक ने इसे आसान भी बना दिया था |
प्री का रिजल्ट आया | शिवम एक नम्बर से बाहर हो गया था जबकि सोमा पास हो गयी थी | शिवम को अपने फेल होने का उतना दुःख नहीं था जितना सोमा के पास होने की ख़ुशी थी | उसने कहा , सब कुछ भूलकर मेंस की तैयारी करो | सारे नोट्स मैं बना दूंगा बस तुम पढ़ो | तुम्हें टॉप करना है | सोमा के मेंस के पेपर चल रहे थे कि तभी शिवम की तबियत अचानक बहुत ख़राब हो गयी | उसी चिंता में उसके कुछ पेपर खराब हो गये | रिजल्ट आया ,सोमा बाहर थी | शिवम ने उसे ढाढस दिया कि कोई बात नहीं | शायद ऊपरवाला चाहता है कि हम साथ में सेलेक्ट हों |
पढाई के डिस्कशन के साथ ही लाइफ का डिस्कशन भी शुरू हो चुका था और दोनों ने केवल शामें ही नहीं जिंदगी भी साथ बिताने की कसमें खा डाली थीं | यहाँ तक की दोनों साथ ही घर जाते थे और शिवम हमेशा सोमा को बनारस तक छोड़ के वहां से लखनऊ की ट्रेन पकड़ता था |
कितना ख्याल रखता था शिवम सोमा का | सोमा भी शिवम को अपना सब कुछ मान चुकी थी | एक सच्चे जीवन साथी के सारे दायित्वों को निभाते थे दोनों | सोमा ने करवाचौथ का व्रत रखा था , शिवम ने दोस्तों से उधार लेकर सोमा को सोने की अंगूठी लाकर दी थी |
सोमा को जब पता चला तो वो शिवम पर बहुत नाराज हुई, “ मैं तुम्हारी गर्लफ्रेंड नहीं हूँ जो तुम मुझसे दिखावा करते हो | लाइफ पार्टनर हूँ |” शिवम ने कान पकड़कर माफ़ी मांगी थी और ऐसी गलती दुबारा ना करने की कसम खाई थी|
दोनों की जिंदगी में सबसे बड़ा ख़ुशी का दिन वो था जब पी सी एस का रिजल्ट आया था और दोनों का सेलेक्शन एक साथ डिप्टी कलेक्टर पद पर हुआ था | दोनों ख़ुशी से झूम रहे थे | उनका सपना पूरा हो गया था | शिवम ने सोमा से कहा , “अब घर वाले मान जायेंगे हमारी शादी के लिए | ” क्यों सेलेक्ट होने से मैं ब्राह्मण हो गयी क्या ? सोमा ने प्रश्न किया | अरे यार ऐसा नहीं है | तुलसीदास जी ने लिखा है न , “समरथ को नहिं दोष गोसाईं |”
“अच्छा | मतलब शेडयूल्ड कास्ट से बिलोंग करना दोष है |” सोमा ने गुस्से में आते हुए कहा ।
“नहीं यार ,मैं नहीं मेरे घर वाले मानते हैं ऐसा | इसलिये कह दिया मैंने, अगर तुम्हें बुरा लगा हो तो सॉरी |” शिवम ने कान पकड़े | अब ऐसे ख़ुशी के मौके पर नाराज मत हो, प्लीज |
सोमा की बात ही सच साबित हुई थी पर फिर भी शिवम ने अपने घर वालों की मर्जी के खिलाफ जाकर सोमा से शादी कर ली थी | शादी के बाद दोनों ट्रेनिंग पर चले गये थे | कितना सुखद था सब कुछ ! दोनों हर पल एक-दूसरे के बारे में ही सोचते थे | सोचते-सोचते सोमा ने आँखें बंद कर लीं और ख्यालों में ही एक बार फिर से शिवम की नवब्याहता बन गयी |अचानक मेज पर ठक-ठक की आवाज सुन कर उसने आँखें खोलीं | सामने वकील मि. खन्ना खड़े थे | खुश होकर सोमा से बोले, “ मैडम , मुबारक हो !अगली तारीख पर आपको शिवम से तलाक मिल जाएगा और आप दोनों खुशी-खुशी अपनी जिंदगी जी सकोगे |
सोमा सोचने लगी तो वो सब क्या खुशी नहीं थी जिसके ख़यालों में मैं अभी डूब गयी थी ?…………

लवी मिश्रा

कोषाधिकारी, लखनऊ,उत्तर प्रदेश गृह जनपद बाराबंकी उत्तर प्रदेश