लघुकथा

यादें

कैलाश सर नियत समय पर होटल पहुँच गए थे। पर उनकी कैरियर सेवा शाला के विद्यार्थी नहीं आए थे। शून्य में निहारते बीते दिनों की यादों में खो गए — परमाणु ऊर्जा विभाग से सेवानिवृत्ति, विधुर, इकलौती सन्तान बेटी का भी विवाह हो गया। अकेलेपन को दूर करने, प्रबंधन की शिक्षा का सदुपयोग करने हेतु , कैरियर सेवा शाला का शुभारंभ ईश्वर प्रेरणा से किया। बच्चे जुड़ते चले गए। समय कैरियर पर पुस्तकें लिखीं प्रकाशित हुई उपहार स्वरूप वितरित करते रहे। विद्यार्थियों को शिक्षण संस्थानों में वार्ताएँ देते रहे। जीवन की सार्थकता महसूस हुई। बच्चों ने ही उनके जन्मदिन पर इस होटल में डिनर पार्टी रखी है। पर बच्चे अभी तक नहीं पहुंच पाए।

तभी वाट्सएप पर एक बेटी जया का सन्देश  — अन्कल , बस दस मिनट में पहुंच रहे हैं। सड़क पर पड़े एक दुर्घटना वाले भाई को अस्पताल पहुंचाकर उसका जीवन बचाने हेतु रक्तदान करना था। बस जल्दी ही पहुँच रहे हैं। कुछ समय बाद बच्चों की टीम केक के साथ पहुँच गई। केक कटा। डिनर फोटो विडियो सेल्फि उपहार रिटर्न गिफ्ट सभी कुछ प्यार भरे वातावरण में समपन्न हुआ।

कैलाश अन्कल ने अन्त में आशीर्वाद दिया  — जया बेटी ने अपना खून देकर एक अनजाने भाई का जीवन बचाकर मेरी सन्सकार शिक्षा को सार्थक किया है। बीते दिनों की सुनहरी यादों के साथ यह देर से होने वाली पार्टी भी हमेशा याद रहेगी। जया एक प्रेरणा है। सभी को धन्यवाद आशीर्वाद।
— दिलीप भाटिया

*दिलीप भाटिया

जन्म 26 दिसम्बर 1947 इंजीनियरिंग में डिप्लोमा और डिग्री, 38 वर्ष परमाणु ऊर्जा विभाग में सेवा, अवकाश प्राप्त वैज्ञानिक अधिकारी