कविता

ये मुझे क्या पता

कोई चल रहा है
ये मुझे क्या पता
मैं भी चल रहा हूँ
ये मुझे क्या पता
जिन्दगी भी वसंत
बनकर खिलखिला रही है
ये मुझे क्या पता

ओह जिन्दगी तेरे
पास आ रहा हूँ
मेरा भी साथ देना
बता कर आ रहा हूँ
अब तुम न कहना
ये मुझे क्या पता

कुछ हाल सही
कुछ हाल बेहाल
सुनाऊ जिन्दगी के
अब तुम्हें क्या हाल
सब कुछ बेहाल है
ये मुझे क्या पता

~ शिवम अन्तापुरिया

शिवम अन्तापुरिया

पूरा नाम शिवम अन्तापुरिया राम प्रसाद सिंह "आशा" उत्तर प्रदेश के जिला कानपुर देहात के अन्तापुर में 07/07/1998 को जन्म हुआ एक काव्य संग्रह प्रकाशित "राहों हवाओं में मन" दूसरी किताब पर लेखन शुरू दुनियां के सबसे बड़े काव्य संग्रह "बज़्म ए हिन्द" में प्रकाशित मेरी रचना "समस्याओं ने घेरा" राष्ट्र गौरव सम्मान नई कलम सम्मान कवि सम्मेलनों में सम्मानित अमेरिका, कनाडा सहित देश के दैनिक जागरण,अमर उजाला से लेकर देश छोटे बड़े लगभग (रोज 4-5) प्रदेश के सभी अखबारों में प्रकाशित होती रहती हैं रचनाएं "शिक्षा के शुरूआत से ही लेखन की ओर दिल झुकता गया" "सस्ती होती शोहरते गर इस जमाने में लोग लिए फ़िरते शोहरते हर घराने में" तेरे कदमों के आने के मेरे कदमों के जाने के बनें हैं पग जमीं पर जो निशां हैं वो मिटाने के....

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