कविता

हाथों की लकीरें

कौन कहता है कि
सब कुछ लिखा होता है
हाथों की लकीरों पर।
रिक्त होती है हाथों की सभी लकीरें
बिल्कुल किसी नये अभ्यास पुस्तिका की
लकीरों की तरह।
जिन लकीरों पर हम लिख सकते हैं
कुछ भी मनचाहा।
गीत, कविता,गजल,कहानी
या अपनी सारी जिन्दगानी।
इस तरह हाथों की लकीरों पर
हम स्वयं लिखते चले जाते हैं
अच्छे बुरे कर्मो का लेखा जोखा।
रिक्त हाथों की लकीरों पर
कुछ भी लिखा जा सकता है।
सब कुछ होता है हम पर ही निर्भर।
किसी ने लिखा कुछ बन गया राजा
किसी ने लिखा कुछ बन गया रंक।
कर्म के आधार पर ही अंकित
हाथों की लकीरों पर अंक।

— अमृता जोशी

अमृता जोशी

जगदलपुर. छत्तीसगढ़