कविता

प्रेम

जब प्रेम जागृत हो जाता है
तो मेरे तेरे का भाव बिसर जाता है
मैं मैं नही रहता
तू तू नहीं रहता
सब समरस हो जाता है
चहुँ दिशाएं हो जाती आलोकित
बस आंनद बरसता है
जब खो जाता है उस आनंद में
तो फिर परमानंद हो जाता है।

कालिका प्रसाद सेमवाल

कालिका प्रसाद सेमवाल

प्रवक्ता जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान, रतूडा़, रुद्रप्रयाग ( उत्तराखण्ड) पिन 246171