लघुकथा

पासवर्ड “पता नही”

#पासवर्ड

“सौरभ! तुम आज आफिस नही आये।”
“हाँ सर, बताया तो था कुछ काम है।”
“अच्छा याद आया। काम निपटाकर आ जाना थोड़ी देर के लिए।”
“जी सर।”
“सौरभ! ये बताओ तुम्हारे कम्प्यूटर का पासवर्ड का प्राब्लम साल्ब हुआ? बार-बार हैक हो जाता था।”
“हाँ सर, इस बार स्ट्रांग पासवर्ड डाला है।”
“अच्छी बात। यार ज़रा बताना, एक फाइल देखनी है।”
“जी सर।”
“जी क्या? पासवर्ड क्या है?”
“सर! पता नही।”
“क्या मतलब पता नही?”
“सर, पासवर्ड पता नही।”
“तुम्हारा कम्प्यूटर है और तुमको पासवर्ड पता नही। क्या बत्तमीज़ी है। जानते हो ना! तुम्हारा प्रमोशन मेरे हाथ में हैं।”
“जी सर।”
“तो बताओ, क्या है पासवर्ड?”
“सर! पता नही।”
“सीधे तरीके से बता दो नही तो मुझे तुम्हारे बारे में जीएम से बात करनी पड़ेगी।”
“अरे सर! पासवर्ड पता नही।”
“तुम आफिस आओ तब बात करता हूँ।”
“सर, पासवर्ड पता नही मतलब अंग्रेजी में टाइप करिये..”PATA-NAHI”
———-#सौरभ_दीक्षित_मानस

सौरभ दीक्षित मानस

नाम:- सौरभ दीक्षित पिता:-श्री धर्मपाल दीक्षित माता:-श्रीमती शशी दीक्षित पत्नि:-अंकिता दीक्षित शिक्षा:-बीटेक (सिविल), एमबीए, बीए (हिन्दी, अर्थशास्त्र) पेशा:-प्राइवेट संस्था में कार्यरत स्थान:-भवन सं. 106, जे ब्लाक, गुजैनी कानपुर नगर-208022 (9760253965) dixit19785@gmail.com जीवन का उद्देश्य:-साहित्य एवं समाज हित में कार्य। शौक:-संगीत सुनना, पढ़ना, खाना बनाना, लेखन एवं घूमना लेखन की भाषा:-बुन्देलखण्डी, हिन्दी एवं अंगे्रजी लेखन की विधाएँ:-मुक्तछंद, गीत, गजल, दोहा, लघुकथा, कहानी, संस्मरण, उपन्यास। संपादन:-“सप्तसमिधा“ (साझा काव्य संकलन) छपी हुई रचनाएँ:-विभिन्न पत्र- पत्रिकाओं में कविताऐ, लेख, कहानियां, संस्मरण आदि प्रकाशित। प्रेस में प्रकाशनार्थ एक उपन्यास:-घाट-84, रिश्तों का पोस्टमार्टम, “काव्यसुगन्ध” काव्य संग्रह,