कविता

नेताजी के गुण

शपथ संविधान का लेकर
निभाना जरूर लोगो के लिए
चकाचौंध दुनिया और रूतवा पाकर
भूल न जाना अगले चुनाव के लिए।
जन भावना है इससे जुडा हुआ
आशाओं का घर घर वसेरा है
बंद ऑखो में बसी है मूरत तेरी
टकटकी लगी है योजनाओ के लिए।
रस्सा कस्सी दकियानूसी
बातों का बखेरा ना करना
अपने पथ पर सदा चलते हूए
काम करना जन कल्याण के लिए।
ओछी हरकतों से दूर रहकर
बात करना जरूरतमंदो की
अक्लमंद बनते जाओगे
ये सभी नुक्ख अगर तुम अपनाओगे।
बात होती है जहाँ
मसले सुलझ जाते
गैरो के शहर में भी
अपने बन जाते।
बात होती जब राजनीति की
सब बराबर हो जाते
सभी वर्णो में तो नेताजी
खोकर रह जाते।
हाथ जोड़ कर सभी लोगो का
अभिवादन स्वीकार करना
दिल से भेद-भाव मिटाकर
सभी का सम्मान करना।
आशुतोष

आशुतोष झा

पटना बिहार M- 9852842667 (wtsap)