धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

विशेष सदाबहार कैलेंडर-141

किसी को हराने के लिए नहीं चाहिए,
उससे ज्यादा शक्ति अपने से छोटों के सामने
स्नेह और सम्मान से झुकने के लिए चाहिए.

5.हमारी मानसिक अशांति और दुःखों के लिए उत्तरदायी दो मूल कारक हैं,
दूसरों से “अपेक्षा” और दूसरों की “उपेक्षा”,
अतः स्वयं ही “पुरुषार्थी ” होना और स्वयं का “समीक्षक” होना ही श्रेष्ठकर है!!

6.जितना प्राप्त हुआ है वो हमारी सामर्थ्य का परिणाम है,
अतः उससे ही संतुष्टि उचित है,
यदि स्वप्न बड़े हैं तो धैर्य और विवेक से,
अपनी सामर्थ्य बढ़ाने हेतु नित पुरुषार्थ करिये.

7.आध्यात्म ही वह अकेला मार्ग है,
जिस पर चलकर अंतःकरण की शुद्धि करके,
जीवन में शांति और संतुष्टि की प्राप्ति की जा सकती है.

8.क्रोध हमारी मानसिक और शारीरिक ऊर्जा का दोहक है,
इसलिये आत्मचिन्तन करते हुए,
हमें अपनी उस ऊर्जा का प्रयोग समाज निर्माण में करना चाहिए.

9.बड़प्पन उम्र से बड़े होने में प्रदर्शित नहीं होता,
अपितु बड़प्पन हमारी सकारात्मक विचारधारा
और दूसरों के प्रति हमारे दृष्टिकोण से प्रदर्शित होता है.

10.दुनिया जीतने से क्या होगा?
यदि कुछ जीतना है तो हमें स्वयं को जीतना चाहिए,
क्योंकि स्वयं को जीतने के बाद,
बाकी कुछ जीतने की आवश्यकता ही नहीं रहेगी.

11.कमजोर इच्छाशक्ति से ग्रसित व्यक्ति ही,
बात-बात पर क्रोधित होता है
और यही क्रोध उसके पतन का कारण बनता है.

12.कुण्ठा क्रोध को जन्म देती है
और क्रोध अविवेक के पथ पर चलता हुआ,
विनाश की मंजिल तक पहुँचा देता है.

13.जो खो गया, उसके लिए रोया नहीं करते,
जो पा लिया, उसे खोया नहीं करते,
उनके ही सितारे चमकते हैं,
जो मजबूरियों का रोना रोया नहीं करते.

14.वही है जिन्दा, जिसकी आस जिन्दा है,
वही है जिन्दा, जिसकी प्यास जिन्दा है,
श्वास लेने का नाम ही जिंदगी नहीं,
जिन्दा वही है, जिसका विश्वास जिन्दा है.

15.जो खैरात में मिलती कामयाबी,
तो हर शख्स कामयाब होता,
फिर कदर न होती किसी हुनर की
और न ही कोई शख्स लाजवाब होता.

16.जिंदगी उसी को आजमाती है, जो हर मोड़ पर चलना जानता है,
कुछ पा कर तो हर कोई मुस्कुराता है,
जिंदगी उसी की है, जो सबकुछ खो कर भी मुस्कुराना जानता है.

17.जीत की खातिर जुनून चाहिए,
जिसमें उबाल हो ऐसा खून चाहिए,
ये आसमान भी आएगा ज़मीं पर,
बस इरादों में जीत की गूँज चाहिए.

18.आंधियों मे भी जैसे कुछ चिराग जला करते है,
उतनी ही हिम्मत ए हौसला हम भी रखा करते है,
मंज़िलों, अभी और दूर है हमारी मंज़िल,
चांद सितारे तो राहों मे मिला करते हैं.

18.बेहतर से बेहतर की तलाश करो,
मिल जाये नदी तो समंदर की तलाश करो,
टूट जाता है शीशा पत्थर की चोट से,
टूट जाये पत्थर ऐसा शीशा तलाश करो.

19.कहते हैं हर बात जुबां से हम इशारा नहीं करते,
आसमान पर चलने वाले जमीं से गुज़ारा नहीं करते,
हर हालात को बदलने की हिम्मत है हम में,
वक़्त का हर फैसला हम गंवारा नहीं करते.

20.भरोसा खुद पर रखो तो ताकत बन जाती है
और दूसरों पर रखो तो कमजोरी बन जाती है.

21.अनेक बार सदाबहार कैलेंडर के अनमोल वचनों ने,
मुझे रास्ता दिखाया है,
कठिनाई में साहस से जीने का अनोखा सलीका,
मुझे सलीके से सिखाया है.

22.आप इच्छाओं की बेड़ी से कैदी की तरह बंधे हुए हैं,

उनको तोड़िए और उड़ने-गाने वाली चिड़िया की तरह मुक्त हो जाइए.

23.इस धरती पर तीन रत्न हैं – जल,अन्न तथा अच्छी वाणी.
बिना जल तथा अन्न हम जी नहीं सकते,
लेकिन सुभाषित या अच्छी वाणी एक ऐसा रत्न है,
जो हमारी बोली को श्रृंगारित करता है,
हम अपने विचारों को सरलता से तथा स्पष्टता से,
सुभाषित द्वारा सबके सम्मुख रख सकते है.

24.शर्तें नहीं लगाई जातीं दोस्ती के साथ,
कीजे मुझे कुबूल मेरी हर कमी के साथ.

25.दो अक्षर की मौत और तीन अक्षर के जीवन के बीच,
ढाई अक्षर का दोस्त बाजी मार ले जाता है,

26.अपने मालिक को कभी मत बताओ,
कि मुसीबत कितनी बड़ी है,
बल्कि मुसीबत को यह बताओ,
कि आपके मालिक कितने बड़े हैं.

27.इस धरती पर तीन रत्न हैं – जल,अन्न तथा अच्छी वाणी.
बिना जल तथा अन्न हम जी नहीं सकते,
लेकिन सुभाषित या अच्छी वाणी एक ऐसा रत्न है,
जो हमारी बोली को श्रृंगारित करता है,
हम अपने विचारों को सरलता से तथा स्पष्टता से,
सुभाषित द्वारा सबके सम्मुख रख सकते हैं.

28.ज़िंदगी जीने के दो ही तरीके होते हैं-
एक जो हो रहा है होने दो, बर्दाश्त करते जाओ,
या फिर ज़िम्मेदारी उठाओ उसे बदलने की.

29.अपने मिशन में कामयाब होने के लिए,
लक्ष्य के प्रति एकचित्त निष्ठावान होना पड़ेगा.

30.अजब तकदीर है हाथ की लकीरों की मेरे प्रभु,
मुट्ठी में हमारी हैं, काबू में तुम्हारी हैं.

31.नज़रिया बदल के देख,
हर तरफ नज़राने मिलेंगे
ऐ ज़िन्दगी यहाँ तेरी
तकलीफों के भी दीवाने मिलेंगे.

प्रस्तुत है पाठकों के और हमारे प्रयास से सुसज्जित विशेष सदाबहार कैलेंडर. कृपया अगले विशेष सदाबहार कैलेंडर के लिए आप अपने अनमोल वचन भेजें. जिन भाइयों-बहिनों ने इस सदाबहार कैलेंडर के लिए अपने सदाबहार सुविचार भेजे हैं, उनका हार्दिक धन्यवाद.

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*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

One thought on “विशेष सदाबहार कैलेंडर-141

  • लीला तिवानी

    आज का अनमोल वचन-
    जीवन में आपसे कौन मिलेगा, ये समय तय करेगा,
    जीवन में आप किस से मिलेंगे, ये आपका दिल तय करेगा,
    परंतुजीवन में आप किस-किस के दिल में बने रहेंगे,
    यह आपका व्यवहार तय करेगा.

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