गीत/नवगीत

गीत

हिन्दी तेरी वाणी अमृत, हमको नित सरसाय
सदियों से तेरी धारा में,सतत् देश मुस्काय
हिन्दी तेरी——–

तुझने ही तो धर्म को पाला,संस्कार को बोया
तुझने ही तो हमें गती दी,और ज्ञान से धोया
तूने ही तो हमें संवारा,हम मानव बन पाय
हिन्दी तेरी—-

हिन्दी तू तो देव की भाषा,कबिरा का है गायन
तुलसी,मीरा,सूरदास का,तुझसे महका आंगन
तूने अनगिन सदियां सींचीं,नित ही जल बरसाय
हिन्दी तेरी——

— प्रो. शरद नारायण खरे

*प्रो. शरद नारायण खरे

प्राध्यापक व अध्यक्ष इतिहास विभाग शासकीय जे.एम.सी. महिला महाविद्यालय मंडला (म.प्र.)-481661 (मो. 9435484382 / 7049456500) ई-मेल-khare.sharadnarayan@gmail.com