गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

ज़हनो दिल को संवारती आँखें।
आरती   सी    उतारती   आँखें।
अब भी लगतीं पुकारती आँखें।
तेरी  दिलकश  शरारती  आँखें।
देख  उनको  सुकून  मिलता है,
मैल  दिल  का  बुहारती आँखें।
एक मुद्दत  गुज़र गयी  लेकिन,
याद अब तक पुकारती आँखें।
भूल सकता  नहीं  हमीद उन्हे,
एकटक  वो  निहारती  आँखें।
हमीद कानपुरी

*हमीद कानपुरी

पूरा नाम - अब्दुल हमीद इदरीसी वरिष्ठ प्रबन्धक, सेवानिवृत पंजाब नेशनल बैंक 179, मीरपुर. कैण्ट,कानपुर - 208004 ईमेल - ahidrisi1005@gmail.com मो. 9795772415