कविता

माँ के चरणों में भक्त का विनम्र निवेदन

माँ के चरणों में भक्त का विनम्र निवेदन

होंठों पे माँ बस तेरा ही नाम है,
तुझे इक पल तो आना पड़ेगा,
ग़म किसको सुनाऊँ मैं मइया ,
अब तुझको तो सुनना पड़ेगा ।

मेरा तेरे सिवा कौन है माँ ,
तेरी दासी ने तुझको पुकारा ,
रूठ जाना न मुझसे तू मइया ,
नहीं तो तुझको मनाना पड़ेगा ।
होंठों पे माँ ……….

मेरी किश्ती है मझदार में माँ ,
बैठी हूँ मैं तेरे इंतज़ार में माँ ,
सारी दुनिया की दाती है तू ,
आगे पार लगानी पड़ेगी ।
होंठों पे माँ ……….

दासी तेरी दूर आ गई माँ ,
तेरे दर पे वर पा गई माँ ,
आशा पूरी तू करती है माँ ,
तेरा ध्यान लगाना पड़ेगा ।।

होंठों पे माँ तेरा नाम है …………

*नूतन गर्ग

दिल्ली निवासी एक मध्यम वर्गीय परिवार से। शिक्षा एम ०ए ,बी०एड०: प्रथम श्रेणी में, लेखन का शौक