फिर सदाबहार काव्यालय- 36
इंद्रेश उनियाल का प्रथम प्रयास – तीन बाल गीत 1.महक-चहक फूल महक रहे बगिया में, पक्षी चहकें घर-आंगन में, फाग महीना
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Read Moreनिज आँचल में फूल सँजोके पर-पथ कांटो से भर डालो और सुनाओ दुनिया वालों । सुनने को दो कान मिले
Read Moreआओ मेरी प्रेयसि! जी भर मैं दुलराऊं। तेरा रूप मनोहर मेरे मन की जलधारा, तुम कुछ इतनी सुन्दर ज्यों फूलों
Read Moreओ३म् मनुष्य सत्य व चेतन स्वभाव से युक्त प्राणी है। सत्य का अर्थ है कि मनुष्य की सत्ता यथार्थ है।
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