बाल कविता

दो बाल कविताएँ

आओ यार 

स्वेटर   मफलर   रजाई ।
अजी तुम कहाँ हो भाई ।

ठण्ड  लगी  है मुझे जी ।
कुछ नहीं अब सूझे जी ।

छुपे  कहाँ  हो  भाई ।
दिखो जहाँ हो भाई ।

अपने साथ रखूँगा तुम्हें ।
कुछ  नहीं  कहूँगा तुम्हें ।

मैं तुम्हारे साथी प्यारे ।
बड़े  भले  चंगे  न्यारे ।

आओ यार करो भलाई ।
स्वेटर   मफलर   रजाई ।

( 2 )

फसल धान की 

लह – लहाती फसल धान की ।
निखरतीं खुशियाँ किसान की ।

हरे – भरे मेड़ करते बड़ाई ,
खेतों  की  इस  शान  की ।

यह है एक श्रम की निशानी ,
धरती के मान – सम्मान की ।

किसान करते इसकी पूजा ,
जैसे करते हैं भगवान की ।

इक मीठी – महक होती इसमें ,
माटी  छत्तीसगढ़  महान  की ।

टीकेश्वर सिन्हा “गब्दीवाला”

टीकेश्वर सिन्हा "गब्दीवाला"

शिक्षक , शासकीय माध्यमिक शाला -- सुरडोंगर. जिला- बालोद (छ.ग.)491230 मोबाईल -- 9753269282.