भजन/भावगीत

ऐसी कृपा करो तुम हे प्रभुवर !

मन में हो उदासी तो ,खुशियों के दीप नहीं जलते
 हो पूनम की रात, तो अंधकार नहीं रुकते
आज धरा की चाहत हैं, मेहनत और संघर्षों की
हर  मानव में दृश्य दिखें, मानवता के माला की
 ऐसी कृपा करों तुम हें! प्रभुवर ।
उड़ जाए खग के जैंसें, मानव के अहंकार
 राग द्वेष सब दूर उड़े, जैसें हो कोई पवन बहार
 हर बाला विदुषी बन सोचे, जैसें माॅ॑ वीणा की झंकार
 हर निर्बल को सबल बनाएं, ऐसे बहें करुणा की धार
 सब समुद्र के जैसें धैर्यं धरें, ऐसी करो कृपा तुम हें! प्रभुवर।
आधार किसी का ना लुट जाए, भाग्य किसी का फूट जाए
कोई भी स्त्री बांझ न हो, किसी की ममता अनाथ ना हो
 किसी स्त्री में दामन दाग न हो, कोई शिशु न मचले दूध बिना
 कोई पुरुष रहे न प्रेम बिना, किसी स्त्री का श्रृंगार न छूटे
 किसी नयन में सरयू तट के जैंसा नीर न हो ऐसी कृपा करों तुम हें! प्रभूवर।।
-– रेशमा त्रिपाठी 

रेशमा त्रिपाठी

नाम– रेशमा त्रिपाठी जिला –प्रतापगढ़ ,उत्तर प्रदेश शिक्षा–बीएड,बीटीसी,टीईटी, हिन्दी भाषा साहित्य से जेआरएफ। रूचि– गीत ,कहानी,लेख का कार्य प्रकाशित कविताएं– राष्ट्रीय मासिक पत्रिका पत्रकार सुमन,सृजन सरिता त्रैमासिक पत्रिका,हिन्द चक्र मासिक पत्रिका, युवा गौरव समाचार पत्र, युग प्रवर्तकसमाचार पत्र, पालीवाल समाचार पत्र, अवधदूत साप्ताहिक समाचार पत्र आदि में लगातार कविताएं प्रकाशित हो रही हैं ।