लघुकथा

सौतन की गांठ

सौतन की गांठ

“कन्यादान के लिए कन्या के मां-बाप आगें आयें” पण्डित जी ने हाथों में पान-सुपारी उठाते हुए आवाज दी। रत्ना ने बेटी के सामने बैठते हुए उम्मीद भरी निगाह से प्रमोद की ओर देखा।
“कन्यादान जोड़े में किया जाता है। कन्या के पिता को बुलाइये।”
“पण्डित जी वो……”रत्ना कुछ और कह पाती उससे पहले ही साक्षी ने रत्ना के बगल में प्रमोद को बिठाकर प्रमोद के कंधे पर पड़े अंगौछे से गांठ बांध दी। उसने रत्ना के कांधो को धीरे से थपथपाया फिर प्रमोद के पीछे जाकर खड़ी हो गयी।

“ओम मंगलम भगवान विष्णु मंगलम गरूणध्वजम्……..” पण्डित जी ने मंत्रोचारण के साथ ही कन्यादान की सभी रस्में एक के उपरान्त एक सम्पन्न करा दी। बिटिया की बिदाई के बाद रत्ना ने साक्षी के पैर छुए और आँखों में आँसू भरकर बोली “दीदी! तुम्हारा ये एहसान कभी नही भूलूँगी।”

“एहसान कैसा? ये तो तुम्हारा हक़ था। पहले बहुत बुरा लगता था, क्या करूँ? सौतन नाम ही खराब है। दो साल हो गये इकलौती बिटिया अपने पति के साथ कनाडा सैटल हो गयी। अब तो फोन भी नही आते। मेरा तुम्हारा एक ही सहारा है प्रमोद। और जब किस्मत नें ही हमें एक साथ बांध दिया है तो मै कौन होती हूँ तुमसे तुम्हारा हक़ छीनने वाली।” कहकर साक्षी ने रत्ना को गले लगा लिया। प्रमोद चुपचाप खड़ा दोनो को देख रहा था।
…………..मानस

सौरभ दीक्षित मानस

नाम:- सौरभ दीक्षित पिता:-श्री धर्मपाल दीक्षित माता:-श्रीमती शशी दीक्षित पत्नि:-अंकिता दीक्षित शिक्षा:-बीटेक (सिविल), एमबीए, बीए (हिन्दी, अर्थशास्त्र) पेशा:-प्राइवेट संस्था में कार्यरत स्थान:-भवन सं. 106, जे ब्लाक, गुजैनी कानपुर नगर-208022 (9760253965) dixit19785@gmail.com जीवन का उद्देश्य:-साहित्य एवं समाज हित में कार्य। शौक:-संगीत सुनना, पढ़ना, खाना बनाना, लेखन एवं घूमना लेखन की भाषा:-बुन्देलखण्डी, हिन्दी एवं अंगे्रजी लेखन की विधाएँ:-मुक्तछंद, गीत, गजल, दोहा, लघुकथा, कहानी, संस्मरण, उपन्यास। संपादन:-“सप्तसमिधा“ (साझा काव्य संकलन) छपी हुई रचनाएँ:-विभिन्न पत्र- पत्रिकाओं में कविताऐ, लेख, कहानियां, संस्मरण आदि प्रकाशित। प्रेस में प्रकाशनार्थ एक उपन्यास:-घाट-84, रिश्तों का पोस्टमार्टम, “काव्यसुगन्ध” काव्य संग्रह,