मुक्तक/दोहा

हास्य व्यंग – दोहा, मुक्तक

“दोहा”

झूठ मूठ का हास्य है, झूठ मूठ का व्यंग।
झूठी ताली दे सजन, कहाँ प्रेम का रंग।।

“मुक्तक”

अजब गजब की बात आप करते हैं भैया।
हँसने की उम्मीद लगा आए हैं सैंया।
महँगाई की मार ले गई चढ़ी जवानी-
अब क्या दूँ जेवनार रसोई बिगड़ी दैया।।

आलू सा था गाल टमाटर सा पिचका है।
कजरारे थे नैन प्याज का रस चिपका है।
दाँत होठ से दबा दबा कर मुसकाती थी
खुलकर हँसता कौन देख लो मुँह बिचका है।।

महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ