कविता

बेटी सिर्फ बेटी है

 

बेटी पर एक कविता

माँ मैं तेरी चिड़िया हूँ प्यारी,
ऐसा तुम कहती रहती हरदम,
तुम सोच सोच कर रोती हो कि ,
एक दिन मैं पराए घर चली जाऊँगी,
तुम मुझे चाह कर रोक न सकोगी ,
सूना सूना हो जाएगा तेरे घर का आँगन ,
कोने कोने में बसी है मेरी यादें यहां,
मेरे हर दर्द पर तुम होती हो उदास,

तो क्यों नहीं होती उदास तुम ??
देख दर्द पराए घर की बेटी का ।।।

वो भी तो है अपने माँ पापा की प्यारी चिड़िया,
वो भी तो आई यहाँ छोड़ उसका आँगन प्यारा,
जहाँ के कोने कोने में बसती उसकी यादें है,
उसको बना लो दिल से बेटी तुम माँ,
उसके दर्द को समझो , प्यार दो बहुत उसको,
मेरे जाने के बाद , वही रहेगी साथ तुम्हारे ,
मेरी तरह ध्यान रखेगी तुम्हारा हमेशा,
बेटी है वो भी ,दिल है उसका भी बेटी का ।
बेटी तो होती प्यारी है माँ , जिसके होने से,
हरदम चहकता है घर आँगन सभी का ।।

सारिका औदिच्य

*डॉ. सारिका रावल औदिच्य

पिता का नाम ---- विनोद कुमार रावल जन्म स्थान --- उदयपुर राजस्थान शिक्षा----- 1 M. A. समाजशास्त्र 2 मास्टर डिप्लोमा कोर्स आर्किटेक्चर और इंटेरीर डिजाइन। 3 डिप्लोमा वास्तु शास्त्र 4 वाचस्पति वास्तु शास्त्र में चल रही है। 5 लेखन मेरा शोकियाँ है कभी लिखती हूँ कभी नहीं । बहुत सी पत्रिका, पेपर , किताब में कहानी कविता को जगह मिल गई है ।