कविता

जिंदा कौन

हममें से जिंदा कौन है
जहाँ जरुरत है बोलने की
वहीं हम सब क्यों मौन हैं
हम में से जिंदा कौन है
दो दिन की दुधमुंही कन्या
श्मशान में जिंदा दफनाई गई
कहीं लूटी गई औरत
कहीं औरत लुटाई गई
इस सब का जिम्मेदार कौन है
हम में से जिंदा कौन है
सडांध मारती मानसिकता
निरंकुश होती ख्वाहिशें
पल पल भावहीन होता समाज
इस सब से शरमिंदा कौन है
हम में से जिंदा कौन है
लडाई अपनो की नही है अब
लड़ाई अपनो से हो रही
लोग सोचना चाहते नहीं
कौन गलत कौन सही
प्रतिपल पनपते बलात्कारी
बढ़ती जनसंख्या और
हर पल घटती रोजगारी
इस सबका जिम्मेदार कौन है
हम में से जिंदा कौन है
सरेराह तेजाब से नहलाई गई
चार साल आठ साल की कन्या
नराधमों के कुत्सित सोच पर
हर दिन बली चढ़ाई गई
जलती गई मोमबत्तियां चौराहों में
और घरोंं में इंसान मौन है
हम में से जिंदा कौन है
— आरती त्रिपाठी

आरती त्रिपाठी

जिला सीधी मध्यप्रदेश